शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

Your health and life style - An initiative towards healthy life / आपका स्वास्थ्य व आपकी लाइफ स्टाइल - स्वस्थ जीवन की ओर एक पहल The world is changing its demography and people looking for better life, compromsing their health!
दुनिया की जनसांख्यिकी में बदलाव हो रहा है और लोग अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बिना बेहतर जीवन की तलाश में हैं ....
Enhancement!

Happy life and better life style


How to make our lives happy and longer by following the necessary steps in our daily life. Life is important and we must try to protect our lives with some steps to be taken seriously......
सुखी जीवन और बेहतर लाइफ स्टाइल जीवन को निरोग व स्वस्थ बनाए रखने के लिए जापान की तकनीक से सभी के लिए कंगेन वाटर की सुविधा उपलब्ध है। आप भी जापानी लोगों की तरह लंबी आयु का स्वस्थ जीवन पाएं।



Dear friends, lets know our age with a single click!
अपनी सटीक उम्र जानें, घंटे, मिनट व सेकंड सहित



आपके फ़्री प्रोडक्ट

आइए, वर्ष 2022 में अपने विचार, इच्छा और लाइफ स्टाइल को अपने स्वास्थ्य, अपने व्यक्तित्व में आजमाकर दैनिक व्यवहार में लाएं।



प्राकृतिक सेवन योग्य सामग्री से तैयार चाय-जूस से आपकी उम्र में दशकों की वृद्धि हो सकती है, जिस तरह से जापानी लोग चाय-जूस का अधिकतम आनंद लेकर लंबा, खुशहाल जीवन यापन करते हैं।

मनुष्य का स्वास्थ्य और विज्ञान

स्वस्थ जीवन और जिन्दिगी से प्यार ..................

कोई मनुष्य सांस ले रहा है, तो उसके शरीर में हवा प्रवेश कर रही है और उसके जीवित होने का प्रथम प्रमाण यह है कि कई तरह की गैसों का मिश्रण हवा किसी भी प्राणी को जीवित रखने के लिए अनिवार्य है, लेकिन मानव जीवन में प्राण रहना केवल हवा लेने तक सीमित नहीं!



किसी भी महाद्वीप, देश, प्रदेश, शहर, कस्बे, गांव या घर में रहें, शरीर को स्वस्थ को कई प्रकार से स्वस्थ रखा जा सकता है, परंतु शरीर को स्वस्थ रखने के साथ-साथ क्या हम इसकी उम्र में भी बढ़ा सकते हैं?

सचमुच आपका उत्तर हां में होना चाहिए, क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है। यदि हम अच्छा खानपान करें और स्वस्थ रहने का प्रयास करें, तो यह हम भी लंबी उम्र का आनंद ले सकते हैं। सिर्फ शरीर की बाहरी काया को बनावटी चीजों से कुछ समय के लिए चमकाना शरीर को स्वस्थ रखना नहीं है!

सुबह का खाना- खाना, रात का खाना ना-ना...... क्या है इसका रहस्य?


स्वस्थ जीवन का एक अदभुत उदाहरण:

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जापान के लोग सर्वाधिक उम्र तक स्वस्थ जीवन जीने का आनंद लेते हैं, जिस तरह से हुंजा समुदाय के लोग.......

दुनिया में एक मानव समुदाय है, जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में गिलगित-ब्लूचिस्तान की पहाड़ियों में स्थित हुंजा घाटी में जीवन यापन कर रहा है, इसका नाम है हुंजा जनजाति.

बड़ी खबर यह है कि इस गांव के लोगों की औसत उम्र 110-120 साल है. शुद्ध हवा व पानी का सेवन करने से इस समुदाय के लोग खूबसूरत और जवान दिखते हैं. विशेषकर औरतें, जो जवानी में ही नहीं, अपितु 65-70 की उम्र में भी बेहद सुंदर दिखने के साथ-साथ बच्चे पैदा करने में सक्षम हैं।

क्या हैं इसके रहस्य:

कोई जादुई शक्ति नहीं, बल्कि प्रकृति को करीब से अनुभव करने और इसकी समस्त असल चीजों का सेवन ही इस विशेषता का कारण है।

ये लोग हिमालय की पर्वतमाला के आसपास रहने के कारण शुद्ध हवा व पानी का सेवन करते हैं। इस ताजा हवा व पानी के कारण जीवन स्वस्थ होने से कुछ लोग आज की दुनिया के औसतन जीवन से दोगुना जीवन जीते हैं। ये लोग बीमारियों का नाम नहीं जानते, क्योंकि ये कभी बीमार ही नहीं होते। इनके जीवन से कुछ-कुछ प्राचीन कालीन मानव पूर्वजों का विवरण याद आता है, जो बिना किसी सुविधा के स्वस्थ व तन्दुरूस्त रहे थे।

प्राकृतिक फलों का सेवन करने से ये लोग हंसमुख व सुंदर दिखते हैं। विशेष बात यह है कि पैदल चलने की गतिविधियां भी इनके जीवन को स्वस्थ व दीर्घकालिक बनाने के कारक हैं।

क्या बहू को किचन में काम करते समय गाना गुनगुनाने की इजाजत होनी चाहिए?

अपना निजी जीवन खुशगवार बनाने के लिए महिलाएं अपनी पसंद का गाना किचन या बाथरूम में कहीं भी धीमे स्वर में गुनगुना सकती हैं, उसका अनुभव ले सकती हैं! इसमें कोई दो राय नहीं है कि कुछ-कुछ घर-परिवारों में सास-बहू के बीच शीतयुद्ध रहता है, फिर भी सास को थोड़ी आजादी बहू को देनी चाहिए, क्योंकि परिवार की खुशी में बच्चे और बहू महत्वपूर्ण हैं।

मनुष्य का स्वास्थ्य उसकी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व आर्थिक स्थितियों की संयुक्त स्थिति है, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य उसके शारीरिक स्वास्थ्य का आधार है। मानसिक स्वास्थ्य स्वस्थ होने पर ही वह अपनी शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से अपना शारीरिक स्वास्थ्य स्वस्थ रख सकता है। मानसिक स्वास्थ्य व शारीरिक स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाए रखने के लिए अनिवार्य है योग, जिसे हम सरल भाषा में व्यायाम व हमारी दैनिक शारीरिक गतिविधियां कहते हैं।


मनुष्य के शरीर की संरचना का प्रत्यक्ष संबंध उसके शरीर के सभी अंगों से है। शरीर के अंग स्वस्थ हैं, तो स्वास्थ्य स्वस्थ है। शरीर का अस्तित्व, बाहय और आंतरिक दो भागों में है। स्वस्थ शरीर के लिए यह महत्वपूर्ण और अनिवार्य है कि हमारा शरीर बाह्य और आंतरिक दोनों रूपों में स्वस्थ रहे।


स्वस्थ शरीर मनुष्य के जीवन में ऐसा धन है, जिसके रखरखाव के लिए इंसान को किसी बैंक या रिजर्व बैंक के द्वारा निर्धारित किसी नियम-कानून की आवश्यकता नहीं है और न ही किसी एटीएम – डेबिट कार्ड की जरूरत। इस धन का क्रेडिट मनुष्य के शरीर में शक्ति/ताकत, जीवन में सुख-शांति और खुशी के रूप में मिलता है। स्वस्थ शरीर वाला इंसान हमारे सामाजिक जीवन में एक ऐसा प्रोडक्ट है, जिससे बाजार में उपलब्ध बैंकों की ओर से लोन के रूप में दिए जाने वाली आर्थिक सहायता की तरह समाज में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करने में सुविधा होती है और लोगों को मदद मिलती है।

मनुष्य का स्वास्थ्य उसके सभी बाहरी व आंतरिक अंग पूर्ण रूप से स्वस्थ और ठीक से कार्य करने की संयुक्त अवस्था है। शरीर के सभी अंगों का एक स्वस्थ शरीर बनाए रखने में बराबर की भागेदारी है, जिसमें मन/दिमाग को अपने अंदर सुरक्षित रखने वाला सिर, मानव जीवन को दुनियां की विभिन्न गतिविधियां दिखाने वाली महत्वपूर्ण व आवश्यक नाजुक आंखें, मनुष्य के जीवन को गंध का एहसास कराने और चेहरे की सुंदरता पर चार-चांद लगाने वाली नाक, मनुष्य जीवन की दैनिक गतिविधियां सरल और जारी रखने में संचार का आदान-प्रदान करने में सहायक कान, मनुष्य के दिल-मन की बात बताने और भोजन ग्रहण के लिए अनिवार्य अंग है, जो जन्म से ही सक्रिय होने का प्रमाण नवजात बच्चे के चिल्लाने से होता है। मुंह के बाहर कवच का काम करने वाले होंठ और आंतरिक भाग में मौजूद वे दांत हैं, जो भोजन को काटने व चबाने का कार्य करते हैं। ये सभी संयुक्त रूप से मनुष्य का चेहरा बनाते हैं।

स्वस्थ स्वास्थ्य के लिए संगीत भी आवश्यक है, जिसे सुनने से प्रेरणा देने वाले हार्मोन 'डोपामीन' और खुशी के हार्मोन 'एंड्रोफीन' का स्राव मनुष्य के शरीर में होता है।



स्वस्थ रहन-सहन के बारे में महत्वपूर्ण बातें



अधिकतर लोगों के लिए "स्वस्थ रहन-सहन” का मतलब किसी व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संतुलित या दोनों अच्छी तरह कार्यशील होना है। कुछ उदाहरणों में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य करीब से संबद्ध होना है, जिससे शारीरिक स्वास्थ्य या मानसिक स्वास्थ्य दोनों में से किसी एक में कोई परिवर्तन (अच्छा या बुरा) होने का असर सीधे दूसरे पर पड़े।

भोजन ग्रहण करना (आहार लेना) सभी मनुष्यों को स्वस्थ शरीर में वृद्धि और देखरेख के लिए भोजन करना होता है, लेकिन हम मनुष्यों जैसे नवजात, बच्चों, किशोरों, युवा वयस्कों, वयस्कों और वरिष्ठ लोगों की अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं। उदाहरण के लिए, नवजात शिशुओं को प्रत्येक चार घण्टे में खाना खिलाना आवश्यक है, जब तक वे धीरे-धीरे बड़े होते हैं और अधिक ठोस भोजन खाना शुरू नहीं करते हैं। अंतत: वे युवा बच्चों की तरह एक दिन में तीन बार भोजन करने लगते हैं। हालांकि जैसे सभी माता-पिता जानते हैं कि बच्चे, किशोर और युवा वयस्क अक्सर भोजन के बीच में अल्पाहार करते हैं। अल्पाहार करना इसी आयु समूहों तक सीमित नहीं है, क्योंकि वयस्क और वरिष्ठ लोग भी अक्सर अल्पाहार लेते हैं।

भोजन लेने के बारे में सुझाव

* एक दिन में तीन बार भोजन खाएं (नाश्ता, दिन का भोजन और रात्रिभोज)। ये याद रखना महत्वपूर्ण है कि रात में अधिक भोजन न करें।

* भोजन में फल, सब्जियां, सम्पूर्ण अनाज और वसा-मुक्त या कम-वसा युक्त दूध के उत्पाद होने चाहिए।

* बिना चर्बी का मांस, चिकन, मछली, सेम, अण्डे और बादाम (प्रमुखता से सेम और बादाम) चुनें।

* संतृप्त वसा, ट्रांस वसा, कोलेस्ट्रॉल, नमक और जुड़ी शर्करा कम वाले खाद्य पदार्थ चुनें।

* भूख मिटने तक की मात्रा में भोजन लें, मात्रा नियंत्रित करें, भूख मिटने के बाद भोजन ग्रहण न करें।

* आहार में बदलाव करने के लिए स्नैक्स लेना ठीक है और इसमें सम्पूर्ण अनाज या बादाम जैसी सामग्री भूख मिटने तक के पर्याप्त होने चाहिए, न कि अत्यधिक वजन बढ़ने के कारण के लिए।

* सोडा और ज्यादा शर्करा वाले पेय का सेवन न करें, क्योंकि इनमें अत्यधिक कैलोरी होती है; आहार पेय अच्छे विकल्प नहीं हैं, क्योंकि इनसे कुछ लोगों को अधिक भूख लगती है और भोजन खपत अधिक होती है।

* पेट में गैस बनने और वजन बढ़ना कम करने के लिए सोने से पहले ज्यादा खाना न खाएं।

* किसी व्यक्ति को क्रोध होने या वह उदास होने की स्थितियां ज्यादा खाने से हल नहीं हो सकती हैं और मूल समस्याएं और भी बुरी हो सकती हैं।

* बच्चों को मीठे स्नैक्स न दें, यह एक जीवनभर की आदत बन सकती है।

* गर्मियों के महीनों में ज्यादा भोजन करने से बचें, खासकर गर्म दिनों के दौरान।

* स्वस्थ जीवनशैली और वजन कम करने के लिए शाकाहारी जीवनशैली को बढ़ावा दिया गया है; शाकाहारियों को निश्चित होने के लिए अपने चिकित्सकों से जांच करानी चाहिए कि उन्हें अपने भोजन से पर्याप्त विटामिन, खनिज और आयरन मिल रहे हैं।

* भोजन (165 फारेनहाइट से अधिक उष्मा) पर पकाने से सबसे हानिकारक बैक्टीरिया और अन्य रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। यदि आप खाने में फल या सब्जियां जैसे बिना पका हुआ भोजन चुनते हैं, तो उन्हें खाने से पहले पूर्ण रूप से साफ पानी से धोएं।

* किसी भी प्रकार का कच्चा या कम पका मांस खाने से बचें।

मानव शरीर में पाचन क्रिया



मानव शरीर के पेट में पाचन एक प्रकार की अपचय क्रिया है, जिसमें भोजन को यांत्रि‍कीय और रासायनिक रूप से छोटे छोटे घटकों में विभाजित कर दिया जाता है और आहार का बड़ा भाग छोटे-छोटे भाग में बदल दिया जाता है। अन्य स्तनपायी प्राणियों की तरह मनुष्य के द्वारा आहार के रूप में खाए जाने वाले भोजन को मुंह में लेने के बाद दांतों से चबाने के दौरान लार ग्रंथियों से निकलने वाले लार में मौजूद रसायनों के साथ भोजन की रासायनिक प्रक्रिया होनी शुरू हो जाती है। उसके बाद यह भोजन ग्रासनली से होता हुआ उदर में पहुंचता है, जहां हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से सर्वाधिक दूषित करने वाले सूक्ष्माणुओं को मारकर भोजन के कुछ भाग का यांत्रि‍क विभाजन (जैसे, प्रोटीन का विकृतिकरण) और कुछ भाग का रासायनिक परिवर्तन शुरू हो जाता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का पीएच (pH) मान कम होने के कारण किण्वकों के लिये उत्तम होता है। कुछ समय के बाद भोजन के अवशेष छोटी आंत और बड़ी आंत में पहुंचते हैं और मलत्याग से निकाल दिए जाते हैं।

एक स्वस्थ मनुष्य में पाचन प्रक्रिया का समय 24 से 72 घंटे है, इस संपूर्ण पाचन प्रणाली में लगभग 9 मीटर लंबी प्रक्रिया होती है।

पाचन क्रिया के चरण - मनुष्य के पेट में भोजन जाने से पहले पाचन क्रिया शुरू हो जाती है.....

• कपालीय चरण – इस चरण में पेट में भोजन पहुंचने से पहले पाचन क्रिया शुरू हो जाती है क्योंकि मनुष्य के मस्तिष्क में भोजन करने और शरीर द्वारा पचाने के लिए तैयारियां शुरू होने लगती हैं। भोजन से सम्बन्धित दृश्य और विचार सेरेब्रल कॉर्टेक्स (प्रमस्तिष्क-प्रांतस्था) अर्थात मस्तिष्क की सतह को उत्तेजित करते हैं। स्वाद और गंध के उद्दीपन को अध:श्वेतक और मेरूरज्जा में भेजा जाता है। इसके बाद उसे वेगस तंत्रिका और एसिटाइलकोलाइन के स्रावण से गुजारा जाता है। इस चरण में आमाशयी स्रावण की अधिकतम दर 40% तक बढ़ जाती है। इस बिंदु पर पेट की अम्लीयता आहार के द्वारा बफर नहीं की जाती और इस प्रकार सॉमेटोस्टैटिन के डी सेल स्रावण के द्वारा भित्तीय (अम्ल स्रावण) और जी सेल (गैस्ट्रिन स्रावण) गतिविधि रोकने का कार्य करती है।

• आमाशय चरण – इस चरण के पूरा होने में 3 से 4 घंटे लगते हैं। यह पेट में भोजन व उसके फुलाव से और पीएच (ph) मान कम होने से उत्तेजित होता है। पेट के फुलाव से लंबी और आंत्रपेशी-अस्तर की परावर्तित क्रियाएं सक्रिय होती हैं। इससे एसिटाइलकोलाइन का स्रावण सक्रिय होता है, जिसके कारण अधिक आमाशयी यूष का स्रावण होता है। जैसे ही पेट में प्रोटीन प्रवेश करता है, तो वह हाइड्रोजन आयंस से जुड़ जाता है, जिसके कारण पेट का पीएच (ph) मान लगभग पीएच (ph) 1-3 तक गिर जाता है। गैस्ट्रिन और एचसीएल (HCL) स्रावण का अवरोधन हटा दिया जाता है। जिससे जी सेल गैस्ट्रिन का स्रावण करने के लिए सक्रिय हो जाता है और वह भित्तीय कोशिकाओं को एचसीएल का स्रावण करने के लिए उत्तेजित करता है। एचसीएल का स्रावण एसिटाइलकोलाइन और हिस्टामाइन द्वारा भी उत्तेजित किया जाता है।

• आंत्र चरण – इस चरण में उत्तेजित करने वाले और रोकने वाले दो भाग होते हैं। आंशिक रूप से पचा हुआ भोजन पाचनतंत्र में भर जाता है। इससे आंतों का गैस्ट्रिन स्रावित होने के लिए सक्रिय हो जाता है। एंटेरोगैस्ट्रिक परावर्तित क्रिया वेगल नाभिक का अवरोधन करती है और संवेदी फाइबर सक्रिय करती है, जिसके कारण पायलॉरिक स्फिंक्टर कस जाता है ताकि और भोजन प्रवेश नहीं कर पाए और स्थानीय परावर्तित क्रिया को अवरोधित करता है।

मुँह



मनुष्य में पाचन क्रिया मुँह से भोजन चबाने से शुरू होती है। मुँह में एक्जॉक्रिन लार ग्रंथियों की तीन जोड़ियों (पैरॉटिड, सबमैंडिब्यूलर और अवजिह्वी) द्वारा बड़ी मात्रा में (1-1.5 लीटर/दिन) लार स्रावित होता है और जीभ की मदद से चबाए जाने वाले भोजन में मिलाया जाता है।

लार दो प्रकार का होता है:

1. एक तरल, पानी जैसा स्रावण जिसका काम भोजन को गीला करना होता है

2. दूसरा गाढ़ा श्लैष्मिक स्रावण, जो लुब्रिकेंट का काम करके भोजन के कणों को एक दूसरे से चिपकाकर ग्रास बनाता है।

लार मुँह में भोजन को नम कर देती है। इसमें पाचक एंजाइम जैसे सैलीवरी एमिलेज होते हैं, जो स्टार्च का रासायनिक विभाजन करके उसे माल्टोज में बदलने में सहायक होते हैं। इसमें श्लेष्मा एक ग्लाइकोप्रोटीन भी होता है, जो भोजन को नर्म करके उसे ग्रास में बदलने में सहायक होता है। चबाया हुआ भोजन निगलने पर ग्रासनली में जाता है और ओरोफैरिंक्ज व हाइपोफैरिंक्ज से गुजरता है। निगलने वाले तंत्र का समंवयन मेरू-रज्जा में स्थित निगलने के केन्द्र और संयोजक अंगों में किया जाता है। जब भोजन ग्रासनली में पीछे की तरफ जाता है तो यह परावर्तित क्रिया गलकोष में मौजूद स्पर्श ग्राहियों द्वारा शुरू होती है।



मनुष्य के शरीर में हार्मोन



मनुष्य के शरीर में विभिन्न प्रकार के हार्मोन पाए जाते हैं, जैसे वृद्धि और सेक्स हार्मोन व अन्य। ये हार्मोन मनुष्य के अंगों और कोशिकाओं के बीच संदेश का आदान-प्रदान करते हैं। हार्मोन को अंतःस्रावी तंत्र में पायी जाने वाली ग्रंथियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जिससे शरीर को संतुलित रखने और बेहतर तरीके से कार्य करने में मदद मिल सके। पुरुषों और महिलाओं दोनों में सेक्स हार्मोन की कमी से उम्रदराज होना है। पुरूष और महिलाओं में उम्र अधिक होने पर तंदुरूस्ती कम होने, सेक्स की इच्छा जागृत न होने और यौन क्रिया का आनंद लेने में कमी, शरीर में ऊर्जा नहीं होने, मांसपेशियों में स्पूर्ति नहीं व हड्डियां कमजोर होने की कमी को सेक्स हार्मोन बदलकर पूरा किया जाता सकता है। ऐसा करने से मनुष्य की उम्र बढ़ना कम करने और जीवन को अधिक खुशहाल बनाने में मदद मिल सकती है।

पुरुष और महिला में पाए जाने वाले मुख्य प्रकार के हार्मोन क्या हैं?



एस्ट्रोजन- यह हार्मोन महिलाओं में अधिक मात्रा में पाया जाता है। वृद्दि के लिए हार्मोन के रूप में इसका मुख्य कार्य शरीर की वृद्दि और विकास है। यह हार्मोन वसा कोशिकाओं को विकसित करने के लिए उत्तेजित करता है और प्रजनन में प्रमुख घटक है। एस्ट्रोजन के तीन प्रकार हैं: एस्ट्राडियोल, एस्ट्रोन और एस्ट्रियल। शरीर-क्रियात्मक कार्य में एस्ट्राडियोल मुख्य अदाकार माना जाता है। इसकी कमी कामेच्छा घटना, थकान, सूजन, बाल झड़ना, मनोदशा अस्थिरता, झुर्रिया, नाजुक हडडियां और शुष्क त्वचा जैसी कई स्वास्थ्य मामलों का कारण हो सकती है। एस्ट्रोजन की अत्यधिक मात्रा सूजन, रक्तस्राव, स्तन कोमलता और मानसिक अस्थिरता का कारण हो सकती है।

प्रोजेस्टेरोन



प्रोजेस्टेरोन एस्ट्रोजन का प्रतिरूप माना जाता है। यह गर्भाशय की परत में एस्ट्रोजन-चालन वृद्दि का विरोधी है। प्रोजेस्टेरोन मासिक धर्म से पूर्व होने वाले घटना चक्र के लिए आवश्यक है। यह घटनाचक्र के दूसरे भाग के दौरान मासिक धर्म से पहले के लक्षणों को कम करने के लिए उगता है और गर्भाशय को उर्वरक अंडे के आरोपण के लिए तैयार करता है। इसके अलावा, स्वस्थ गर्भावस्था के समर्थन के लिए प्रोजेस्टेरोन जरूरी है, क्योंकि कम स्तर का परिणाम गर्भपात हो सकता है। प्रोजेस्टेरोन भी न्यूरोप्रोटेक्टिव है। एस्ट्रोजन के अनुपात में असंतुलन से प्रोजेस्टेरोन पीएमस लक्षणों के साथ चिड़चिड़ापन, सूजन, द्रव धारण, सिरदर्द और फाइब्रॉइडस जैसी कुछ समस्याएं पैदा कर सकता है। यह एस्ट्रोजन के साथ मिलकर हड्डियों को मजबूत करने, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को थामे रखना और कामेच्छा का समर्थन करता है। थकान, चक्कर आना और भूख बढ़्ने का कारण बहुत अधिक प्रोजेस्टेरोन हो सकता है।

टेस्टोस्टेरोन



टेस्टोस्टेरोन पुरूषों में प्रभावी हार्मोन के रूप में स्वस्थ मांसपेशी समूह, सहनशक्ति और ताकत को बनाए रखने में मदद करता है। यह कामेच्छा, ऊर्जा, हड्डी की सघनता, याददाश्त, तंदुरूस्ती को भी सम्भालता है। टेस्टोस्टेरोन महिलाओं के लिए उचित संतुलन में भी जरूरी है। टेस्टोस्टेरोन की कमी से महिलाओं पर नकारात्मक प्रभाव के साथ कम ऊर्जा, कामेच्छा और तंदुरुस्ती में कमी हो सकती हैं। पुरूषों में टेस्टोस्टेरोन की कमी के कारण थकान, मानसिक अस्थिरता, कामेच्छा में कमी और चिड़चिड़ापन हो सकते हैं। इस हार्मोन के पतन की शुरूआत पुरूषों में 35 वर्ष के आसपास टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन के बीच में असंतुलन के कारण होती है। बहुत अधिक टेस्टोस्टेरोन आक्रामकता, अवसाद, नपुंसकता और अत्यधिक कामेच्छा का कारण हो सकता है।

प्रीजेनोलोन कोलेस्ट्रॉल से उत्पादित होता है और प्रोजेस्टेरोन, एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन और डीएचईए हार्मोन सहित दूसरे अन्य स्टेरॉइड हार्मोन का पूर्वगामी है। प्रीजेनोलोन के स्तर का उम्र के साथ पतन होता है और इसकी कमी चिंता, मानसिक असंतुलन, अधिक तनाव महसूस करना और खराब ज्ञान-संबंधी कार्य का कारण हो सकती है। प्रीजेनोलोन के स्तर को पहले जैसा करने से ज्ञान-संबंधी कार्य, मनोदशा, याददाश्त और कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य में लाभ हो सकता है। अत्यधिक प्रीजेनोलोन, डीएचईए में बदलने के कारण मुँहासे हो सकते हैं।

शरीर में डीएचईए सबसे प्रचुर मात्रा में स्टेरॉइड हार्मोन के रूप में होता है, जो टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन का पूर्वगामी है। यह शरीर में एड्रेनॉल ग्रंथि दवारा निर्मुक्त होता है। हमारी उम्र के हिसाब से डीएचईए का स्तर घटने से थकान, मानसिक अस्थिरता और ज्ञान-संबंधी रोग होते हैं। डीएचईए प्रोटीन संश्लेषण को प्रोत्साहित करने, आंत का वसा घटाने, हड्डियों के स्वास्थ्य का समर्थन और कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायता करता है। डीएचईए का स्तर बहुत उच्च होने के कारण मुँहासे, चेहरे के बाल बढ़ना, त्वचा में चकते और जिगर में समस्या हो सकती है।

मनुष्य का शरीर और हार्मोन



हार्मोन की उत्पत्ति अंतःस्रावी गंथियों में होती है, ये वे जटिल कार्बनिक पदार्थ हैं, जो मनुष्य व अन्य सभी सजीवों में होने वाली विभिन्न जैव-रसायनिक / उपापचय क्रियाओं जैसे वृद्धि, विकास, प्रजनन इत्यादि का नियमन और उन पर नियंत्रण रखते हैं। हार्मोन का स्रावण कोशिकाओं व ग्रन्थियों से होने कारण इन्हें विशिष्ट अंतःस्रावी या नलिका विहीन ग्रंथियां भी कहा जाता है। शरीर में इनकी सूक्ष्म मात्रा होने पर भी इनका बहुत अधिक प्रभाव रहता है। हार्मोन के बाते में महत्वपूर्ण बात यह है ये शरीर में अधिक समय तक सक्रिय नहीं रखे जा सकते हैं, क्योंकि इनका कार्य समाप्त होने पर ये नष्ट हो जाते हैं और उत्सर्जन प्रक्रिया में शरीर से बाहर निकाल दिए जाते हैं। मनुष्य या किसी भी सजीव में हार्मोन अधिक होने या कम होने से शरीर पर बुरे प्रभाव पड़ते हैं। सामान्य रूप से हार्मोन कोशिकाओं या ऊतकों में कार्य करने कारण इन्हें 'रासायनिक दूत' भी कहते हैं।

मनुष्य में हार्मोन का स्रावण करने वाली ग्रंथियां :

बहिःस्रावण ग्रंथियां:

स्वेद यकृत

लार

सिबेशियम

अंतःस्रावी ग्रंथियां:

थायराइड

पैराथायराइड

पीयूष

एड्रीनल

मिश्रित ग्रंथियां: अग्न्याशय में पायी जाती हैं

स्टेरॉइड और थायरॉइड हार्मोन



ये दोनों हार्मोन वसा घुलनशील होते हैं और ये हार्मोन कोशिका झिल्ली से आर-पार हो सकते है और कोशिकाद्रब्य में और यहां तक कि नाभिक में प्रवेश कर सकते हैं। स्टेरॉइड हार्मोन के लिए कोलेस्ट्रॉल अकेला पूर्वगामी कण है। स्टेरॉइड हार्मोन के दो वर्ग एस्ट्रोजन (मादा सेक्स हार्मोन) और एंड्रोजन (पुरूष सेक्स हार्मोन) हार्मोन हैं। एस्ट्रोजन नियोजित कोशिका की झिल्ली में सभी जगह फैल सकता है और एक विशिष्ट ग्रहीता से साइटोप्लाज्म के साथ क्रिया कर सकता है। स्टेरॉइड-ग्रहीता समूह बनाने के बाद यह नाभिक की झिल्ली से गुजर सकता है और नाभिक में प्रवेश कर सकता है। नाभिक में यह कुछ प्रोटीन के लिए एमआरएनए की प्रतिलिपि बदलता है। थायरॉइड हार्मोन विकास को नियंत्रित कर सकते हैं। यह प्रोटीन, वसा और ग्लूकोज के काम ना करने को उत्तेजित करने में भूमिका निभा सकता है। थायरॉइड हार्मोन, थायरॉइड ग्रंथि से स्रावित होता है। वे समान रूप से प्लाज्मा झिल्ली में फैलते हैं और नाभिक में पहुंचते हैं।

एंड्रोजन और एस्ट्रोजन में अंतर



आरम्भ में, एक हार्मोन अंत-स्रावी ग्रंथियों द्वारा रासायनिक रूप से उत्पादित होता है और शरीर में विभिन्न अंगों की गतिविधि पर विशिष्ट प्रभाव रखता है। जो हार्मोन वृद्दि और विकास, यौन कार्य, प्रजनन, मनोदशा और चयापचय में सहायक हैं उनके साथ विशिष्ट गतिविधियां। मुख्य अंत-स्रावी ग्रंथियों द्वारा हार्मोन उत्पादित करने वाली ग्रंथियां पिट्यूटरी, पाइनल, थाइमस, पैंक्रियाज, थाइमॉइड और एड्रेनॉल हैं। प्राथमिक नर और मादा हार्मोन को एंड्रोजन और एस्ट्रोजन हार्मोन कहा जाता है। पुरूष इन हार्मोन को वृषण में उत्पन्न कर सकते हैं जबकि महिलाएं इन्हें अंडाशय में उत्पन्न करते हैं। हालांकि पुरूष और महिलाएं दोनों में इस प्रकार के हार्मोन होते हैं, वे उन्हें महत्वपूर्णता से विभिन्न मात्रा में रखते हैं। दृष्टांत के लिए, अधिकांश पुरूष एंड्रोजन के रूप में टेस्टोस्टेरोन की अत्यधिक मात्रा उत्पन्न करते हैं, जबकि महिलाएं मुश्किल से थोड़ी सी मात्रा उत्पन्न करती हैं। पुरूष के एस्ट्रोजन का स्तर रखने के साथ यह संबंध समान है। पुरूष यह हार्मोन उत्पन्न करते हैं लेकिन प्रतिदिन बहुत कम मात्रा में करते हैं।

एंड्रोजन और एस्ट्रोजन के बीच में अंतर



आरंभ में एक हार्मोन अंत-स्रावी ग्रंथियों द्वारा रासायनिक रूप से उत्पादित होता है और शरीर में विभिन्न अंगों की गतिविधि पर इसका विशिष्ट प्रभाव रहता है। जो हार्मोन वृद्दि और विकास, यौन कार्य, प्रजनन, मनोदशा और चयापचय में सहायक हैं, उनके साथ विशिष्ट गतिविधियां करता है। मुख्य अंत-स्रावी ग्रंथियों द्वारा हार्मोन उत्पादित करने वाली ग्रंथियां - पिट्यूटरी, पाइनल, थाइमस, पैंक्रियाज, थाइमॉइड और एड्रेनॉल हैं। प्राथमिक नर और मादा हार्मोन को एंड्रोजन और एस्ट्रोजन हार्मोन कहा जाता है। पुरूषों में यह हार्मोन वृषण में उत्पन्न होता है, जबकि महिलाओं में यह हार्मोन अंडाशय में उत्पन्न होता है। हालांकि पुरूष और महिलाएं दोनों में इस प्रकार के हार्मोन होते हैं, वे उन्हें महत्वपूर्णता से विभिन्न मात्रा में रखते हैं। उदाहरण के लिए, अधिकांश पुरूष एंड्रोजन के रूप में टेस्टोस्टेरोन की अत्यधिक मात्रा उत्पन्न करते हैं, जबकि महिलाएं मुश्किल से थोड़ी सी मात्रा उत्पन्न करती हैं। पुरूष के एस्ट्रोजन का स्तर रखने के साथ यह संबंध समान है। पुरूष यह हार्मोन उत्पन्न करते हैं, लेकिन प्रतिदिन बहुत कम मात्रा में करते हैं।


एंड्रोजन

ये हार्मोनों के वे समूह हैं, जो पुरूष विशेषता लक्षणों और प्रजनन गतिविधि में भूमिका करते हैं। यह टेस्टोस्टेरोन की तरह एक स्टेरॉइड भी माना जाता है, जो मर्दाना विशेषताओं के विकास को नियंत्रित करता है। एंड्रॉन्स की मदद करने वाली पुरुष विशेषताओं में माध्यमिक यौन विशेषताओं शामिल हैं, जो युवावस्था के माध्यम से लड़ते समय लड़कों को विकसित करते हैं। इसके अलावा, एंड्रोजन वीर्य-कोशिका निर्माण, यौवन रूचि और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। एंड्रोजन को "पुरूष हार्मोन" कहा सकता है, लेकिन पुरूष और महिला दोनों के शरीर अलग-अलग मात्रा में एंड्रोजन उत्पन्न करते हैं। वास्तव में महिलाओं में एंड्रोजन के 200 से अधिक कार्य हैं। टेस्टोस्टेरोन और एंड्रोस्टेनेडियोन प्रमुख एंड्रोजन हैं। पुरूषों में ये बहुत उच्च स्तर में मौजूद होते हैं। अन्य एंड्रोजन में डिहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन (DHT), डिहाइड्रोपिएंड्रोस्टेरोन (डीएचईए) और डीएचईए सल्फेट (डीएचईए-एस) शामिल हैं। महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन होने का एक मुख्य उद्देश्य एस्ट्रोजन कहे जाने वाले मादा हार्मोन में परिवर्तित करना है। महिलाओं में एंड्रोजन अंडाशय, एड्रेनॉल ग्रंथियों और वसा कोशिका में उत्पन्न होते हैं। वास्तव में महिलाएं इन हार्मोन को बहुत अधिक या बहुत कम उत्पन्न कर सकती हैंं - एंड्रोजन की अधिकता और कमी के विकार महिलाओं में अधिक सामान्य हार्मोनल से घिरे विकार हैं। महिलाओं में एंड्रोजन हार्मोनल कैस्केड में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो यौवनावस्था में जघन और अंडरआर्म क्षेत्रों में बालों की वृद्दि को उत्तेजित करने की शुरूआत करती है। अधिकतर इन हार्मोन को प्रजनन प्रणाली, हड्डी, गुर्दे, यकृत और मांसपेशी सहित कई अंगों के कार्य को नियंत्रित करने के लिए माना जाता है। वयस्क महिलाओं में एस्ट्रोजन संश्लेषण, हड्डी के नुकसान की रोकथाम और साथ ही साथ यौन इच्छा व संतुष्टि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए दिखाने के लिए एंड्रोजन जरूरी हैं। ये मीनोपॉज से पहले, दौरान और बाद में भी शरीर के कार्य को नियंत्रित करते हैं।

एंड्रोजन से संबंधित विकार



(ए) उच्च एंड्रोजन स्तर एंड्रोजन की अधिक मात्रा समस्या खड़ी कर सकती है, परिणामस्वरूप में इस प्रकार "विरिलिजिंग प्रभाव" जैसे मुँहासे, अत्यधिक बाल उगना ("अनुचित" स्थानों में अत्यधिक बाल उगना जैसे ठोड़ी या ऊपरी होंंठ) और बालों का पतला होना। "फ्री" टेस्टोस्टेरोन नामक टेस्टोस्टेरोन के एक रूप के उच्च स्तर वाले कई महिलाओं में पॉलीकाइस्टिक अंडाशय सिंड्रोम (पीसीओएस) होता है, अनियमित या अनुपस्थित मासिक धर्मकाल, बांझपन, रक्त शर्करा विकार और कुछ मामलों में मुँहासे और अत्यधिक बाल वृद्दि जैसे लक्षण होते हैं। यदि एक महिला को पीसीओएस है या नही, इस पर ध्यान दिए बिना अनुपचारित एंड्रोजन के उच्च स्तर गंभीर स्वास्थ्य परिणामों जैसे इंसुलिन प्रतिरोध, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियों से जुड़े हुए हैं। पीसीओएस के संयोजन में एंड्रोजन के उच्च स्तर के अन्य कारण (जिसे हाइपेरांड्रोजेनिज्म कहा जाता है) जन्मजात एड्रेनॉल हाइपरप्लासिया (एक अनुवांशिक विकार जो एड्रेनल ग्रंथियों व लगभग 14,000 महिलाओं में से एक को प्रभावित करता है) और अन्य एड्रेनॉल असामान्यताओं, डिम्बग्रंथि या एड्रेनॉल ट्यूमर शामिल हैं। अनाबोलिक स्टेरॉइड जैसी द्वाएं हाइपेरांड्रोजेनिक लक्षणों का कारण हो सकती हैं।

(बी) न्यून एंड्रोजन स्तर के बारे में जानकारी



न्यून एंड्रोजन स्तर भी किसी समस्या का कारण हो सकते हैं, जो इस तरह के प्रभाव जैसे कम कामेच्छा, थकान, तंदुरूस्ती की भावना में कमी और हड्डी की बीमारी की संवेदनशीलता उत्पन्न कर सकते हैं। फ्लैगिंग इच्छा और सामान्य अस्वस्थता जैसे लक्षणों में विभिन्न कारण होते हैं, एंड्रोजन की कमी, हाइपेरांड्रोजेनिज्म अक्सर बिना उपचारित रह जाते हैं। न्यून एंड्रोजन स्तर महिला को किसी भी उम्र में प्रभावित करते हैं लेकिन साधारणत: मीनोपॉज के माध्यमिक काल के दौरान होते हैं या “प्रीमीनोपॉज” एक पारिभाषिक शब्द जो मीनोपॉज (दो से आठ साल) से पहले के समय का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता है। महिलाओं में 20 की उम्र में और उसके मीनोपॉज के समय तक पहुंचने के द्वारा एंड्रोजन के स्तर के कम होने की शुरूआत होने लगती है, उनके अधिकतम में से उनमें 50 प्रतिशत या उससे अधिक ह्रास होता है, क्योंकि एड्रेनॉल ग्रंथियों में एंड्रोजन उत्पादन में कमी आई है और मिडसायकल अंडाशयी भाप बनाने को बढ़ावा देता है।

विशिष्ट स्थितियों के बारे में महत्वपूर्ण बातें:



* डायबिटीज वाले व्यक्ति ऊपर दिए गए सुझाव उपयोग कर सकते हैं और निर्देशानुसार अपने ग्लूकोज के स्तर की जांच कर सकते है; जितना संभव हो दैनिक रूप से खून में ग्लूकोज के स्तर को सामान्य रखने की कोशिश करें।

* काम के असामान्य कार्यक्रम वाले व्यक्ति (रात की डयूटी, कॉलेज छात्र, आर्मी) कम से कम स्नैक्स खाने के साथ नाश्ता, दिन का भोजन और रात्रि भोजन की दिनचर्या का पालन करने की कोशिश कर सकते हैं।

* व्यक्ति जो भोजन बनाते हैं, चर्बी उपयोग और भोजन को चर्बी में तलने से बचें।

* वजन कम (शरीर की चर्बी) करने की कोशिश कर रहे व्यक्ति सभी वसायुक्त और मीठे भोजन खाने से बचें और प्रमुख रूप से सब्जियां, फल और काष्टफल खायें और स्पष्टतया मांस और डेयरी उत्पाद ग्रहण करना कम करें।

* यदि आप अपना वजन, भोजन ग्रहण करना रोक नहीं पा रहे हैं या यदि आपको डायबिटीज है और अपने खून में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं, तो जल्दी मेडिकल सुझाव लें।

विशेष स्थितियों वाले लोगों के लिए सुझाव:



ज़िन लोगों को डायबिटीज़ है, उन्हें ऊपर दिये गये तरीकों पर ध्यान देना चाहिए और अपने शरीर में ग्लूकोज़ स्तर की निगरानी करनी चाहिए। दैनिक रूप से ब्लड ग्लूकोज़ स्तर सामान्य के जितने नजदीक हो सके, उतना नजदीक रखें।

धूम्रपान छोड़ें



* धूम्रपान छोड़ने का एक तारीका निश्चित करें। यदि सम्भव हो, अपने एक दोस्त के साथ धूम्रपान छोड़ने की योजना बनाएं। अगले महीने का एक दिन चुनना बहुत अच्छा है।

* ध्यान दें आप कब और क्यों धूम्रपान करते हैं। अपने दैनिक जीवन में से वो चीजें ढूढें, जिनसे आप अक्सर धूम्रपान (जैसे अपनी सुबह की कॉफी पीते या कार चलाने) का समय निकालते हैं।

* अपने धूम्रपान का कार्यक्रम बदलें: अपने सिगरेट को विभिन्न स्थान में रखें। धूम्रपान अपने दूसरे हाथ से करें। जब आप धूम्रपान करते हैं और कोई कार्य न करें। जब आप धूम्रपान करते हैं, आप कैसा अनुभव करते है उसके बारे में सोचें।

शारीरिक गतिविधि और अभ्यास



शारीरिक गतिविधि और व्यायाम स्वस्थ जीवनशैली में मुख्य सहयोगी है। व्यक्ति अपने शरीर का उपयोग करने के लिए बने हैं और उपयोग नहीं करने पर अस्वस्थ रहन-सहन होता है। अस्वस्थ रहन-सहन मोटापा, कमजोरी, सहनशीलता की कमी और पूरी कमजोरी से स्वास्थ्य बीमारियां बढ़ती हैं।

सुझाव:



नियमित व्यायाम करने से मांसपेशी में ताकत, संतुलन बेहतर करने, लचीलापन और सहनशक्ति से उम्र से संबंधित कमी को रोकने और पहले की स्थिति में लाया जा सकता है और लोग जल्दी बूढ़ा होने का जोखिम कम कर सकते हैं। नियमित व्यायाम करने से दिल की बिमारियों, अटैक, डायबिटीज, मोटापा और उच्च रक्त दबाव को रोकने में मदद मिलेगी। नियमित, वजन सहन करने के व्यायाम से भी हड्डियों में ताकत लाने से ओस्टिओपरोसिस रोकने में मदद मिलेगी।

नियमित व्यायाम से लम्बे समय से पीड़ित गठिया के रोगियों को उनकी दैनिक गतिविधियों जैसे गाड़ी चलाने, सीढ़ियां चढ़ने और जार खोलने की क्षमता सुधारने में मदद मिलेगी।

* नियमित व्यायाम करने से आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास बढ़ाने, तनाव और चिंता कम करने, मनोदशा सुधारने और सामान्य मानसिक स्वास्थ्य सुधारने में मदद मिलेगी।

* नियमित व्यायाम करने से वजन बढ़ना नियंत्रित करने और कुछ लोगों में मोटापा घटाने में मदद मिलेगी।

* साधारण व्यायाम (चलना ठीक है) एक हफ्ते में कम से कम तीन से पांच दिन में तीस मिनट व्यायाम करने का सुझाव है, लेकिन हफ्ते के सभी दिन व्यायाम करने से स्वास्थ्य में अधिकतम फायदे होते हैं।

* व्यायाम को दस मिनट के छोटे सत्रों में बांट सकते हैं।

* शुरूआत धीरे से करें और चोट या अत्यधिक कष्ट या थकान से बचने के लिए धीरे-धीरे बढ़ाएं। अधिक समय, प्रतिदिन तीस से साठ मिनट मध्यम से अधिक व्यायाम का समय निर्धारित करें।

* किसी भी उम्र के लोग व्यायाम शुरू कर सकते हैं। यहां तक कि दुर्बल, बड़े-बूढ़े व्यक्ति (70 से 90 वर्ष की उम्र के) व्यायाम करने से अपनी ताकत और संतुलन में सुधार सकते हैं।

* प्राय: किसी भी प्रकार का व्यायाम (प्रतिरोधक क्षमता, पानी में करतब, घूमना, तैराकी, वजन उठाना, योग और कई अन्य) से सभी लोगों को मदद मिलती है।

* बच्चों के लिए व्यायाम जरूरी है, घर से बाहर खेलना अच्छी शुरूआत है।

* बच्चों के लिए खेल से व्यायाम के श्रेष्ठ अवसर मिलते हैं, लेकिन कुछ व्यायाम अधिक करने पर भी ध्यान जरूरी है (उदाहरण के लिए, बेसबॉल में बहुत पिच फेंकने से कोहनी या कंधे जैसे जोड़ों में को नुकसान हो सकता है)।

* अधिक उत्साह से व्यायाम करने पर व्यक्ति को थकान हो सकती है और वह उदास हो सकता है, लेकिन यदि दर्द होता है तो दर्द होने वाला व्यायाम न करें; व्यक्ति को इस तरह के अभ्यास करते रहने के बारे में चिकित्सा सहायता और सलाह लेनी जरूरी हो सकती है।

अधिकतर व्यक्ति घूमना जैसे मध्यम व्यायाम बिना चिकित्सीय परीक्षण के करना शुरू कर सकते हैं। हालांकि, निम्न लोगों को ज्यादा जोर लगने वाले व्यायाम की शुरूआत से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए:

* चालीस से अधिक उम्र के पुरूष व पचास से अधिक उम्र की महिलाएं।

* दिल व फेफड़े की बीमारी, अस्थमा, आर्थराइटिस व ऑस्टोपोरोसिस से पीड़ित व्यक्ति

* जिन व्यक्तियों को अधिक परिश्रम करने से छाती में दबाव, दर्द अनुभव होता है या जिन्हें थकान व आसानी से श्वास लेने में परेशानी होती है

* ऐसी स्थितियों वाले व्यक्ति, जिनसे दिल की बीमारियां उत्पन्न होने के जोखिम बढ़ते हैं जैसे उच्च रक्तचाप, डाइबिटीज, धूम्रपन, उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल या ऐसे परिवार के सदस्य, जिनमें दिल के दौरे और कोरोनरी दिल की बीमारियां कम उम्र में होती हैं

* व्यक्ति जो अस्वस्थ रूप से मोटे हैं

शारीरिक निष्क्रियता और व्यायाम की कमी के परिणाम:



* शारीरिक निष्क्रियता और व्यायाम की कमी का संबंध दिल की बीमारी और कुछ कैंसर संबंधित रोगों से है।

* शारीरिक निष्क्रियता और व्यायाम की कमी टाइप 2 डाइबिटीज मेलिटस (प्रौढ़ता या व्यस्कता-प्रारंभ, गैर-इंसुलिन-निर्भर डायबिटीज) से संबंधित है।

* शारीरिक निष्क्रियता और व्यायाम की कमी से वजन बढ़ता है।

मानसिक स्वास्थ्य



स्वस्थ रहन-सहन का महत्व शारीरिक स्वास्थ्य से अधिक है, इसमें भावनात्मक या मानसिक स्वास्थ्य भी शामिल है। निम्नलिखित कुछ तरीकों से लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य और शरीर को तंदुरूस्त बनाए रख सकते हैं।

सुझाव:



* प्रतिदिन पर्याप्त नींद लें। ; सीडीसी आयु समूह के अनुसार निम्नलिखित की सलाह देता है (झपकियों सहित); जन्म से दो महीनों तक के लिए के 12-18 घंटे, 3-11 महीने की उम्र के लिए 14-15 घंटे, 1-3 वर्ष की आयु में 12-18 घंटे, 3-5 वर्ष की आयु में 11-13 घंटे, 5-10 वर्ष की आयु के लिए 10-11 घंटे, 10-17 वर्ष की आयु के लिए 8 और 8:30 से 9 और 9:30 घंटे तक और 18 और उससे ऊपर की आयु के लोगों के लिए सोने के 7 से 9 घंटे जरूरी हैं। बड़े-बूढ़े लोगों को भी 7 से 9 घंटे की जरूरत होती है, लेकिन अधिक नहीं सोना है, रात में जागना या जल्दी जागने के कारण झपकियां (बच्चों की जरूरत की तरह) उन्हें सोने के लिए कुल 7 से 9 घंटों की जरूरत होती है।

* पैदल चलें/घूमें और आपको क्या दिखता है और सुनाई देता है, प्रति सप्ताह कम से कम कई बार विचार करें।

* अक्सर कुछ नया आजमाएं (नया आहार लें, काम करने का अलग तरीका अपनाएं, नया म्यूजियम डिस्प्ले देखें)।

* कुछ दिमागी कसरत करें (पढ़ाई, कभी-कभी सप्ताह के दौरान पहेली बनाएं.बुझाएं)।

* एक प्रक्रिया पर अत्यधिक केंद्रित होने और एक भाग को एक से अधिक घण्टों में पूरा करने की कोशिश करें, फिर विराम लें और कुछ आराम करें (पैदल चलें/घूमें, व्यायाम करें, हल्की झपकी लें)।

* दूसरे लोगों के साथ विभिन्न विषयों के बारे में बात करके कुछ समय बिताने का प्लान बनाएं।

* प्रत्येक सप्ताह अपनी रूचि के कुछ कार्य (शौक, खेल) करने के लिए कुछ खाली समय निकालें।

* अपनी पसंद के विपरीत कार्य या जिनमें आप शामिल नहीं होना चाहते हैं, ऐसी स्थितियों में "नहीं" कहने का तरीका सीखें।

* मनोरंजन करें (अपने किसी प्रिय व्यक्ति के साथ सैर पर जाएं, खरीददारी करने जाएं, मछ्ली का शिकार करने जाएं; छुट्टियों का समय न गवाएं।

* अपनी बड़ी और छोटी दोनों उपलब्धियों से स्वयं प्रसन्न रहें (संतोष करना करना शुरू करें)।

* सामाजिक समर्थन प्राप्त मित्रों का समूह बनाएं; इससे स्वस्थ जीवनशैली बनती है।

* यदि आप उदास महसूस करते है, खुदकुशी संबंधी विचार या मन में स्वयं को या दूसरों को चोट पहुंचाने के विचार आते हैं, तो शीघ्र मदद और सलाह लें।

* मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए दवा ले रहे लोगों को ये दवाईयां लेना तब तक बंद नहीं करना चाहिए, जब तक वे स्थिति अपने निर्धारित चिकित्सकों को नहीं बताते हैं, इस बात कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वे कितना भी अच्छा महसूर कर रहे हों, कोई बात नहीं वे "अच्छी तरह" कैसा महसूस कर रहे हैं।

आनाकानी वाला व्यवहार स्वस्थ जीवन के लिए एक अन्य दूसरा मंत्र है। यदि कोई व्यक्ति स्वस्थ जीवनशैली की तलाश में है, तो नीचे कुछ मुख्य जानकारी दी है, जिनसे उसे बचना चाहिए।

तंम्बाकू का उपयोग करने से बचें



नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (एनसीआई) के अनुसार अमेरिका में तंम्बाकू उपयोग बीमारियों और मृत्यु का कारण है, जिसे रोकना सर्वाधिक जरूरी है। अमेरिका में 2010 में तंम्बाकू उपयोग को अनुमानित 443,000 लोगों की मृत्यु का कारण माना गया था।

सुझाव



* तंम्बाकू का सेवन करना बंद करें। आज से ही रोकना शुरू करें (धूम्रपान करने वालों के लिए हृदय रोग के "सामान्य" जोखिम स्तर जानने में 15 साल का नॉन-स्मोकिंग व्यवहार लगता है)।

* मुंह के कैंसर से बचने के लिए तम्बाकू चबाना बंद करें।

तम्बाकू उपयोग के विपरीत परिणाम:



अमेरिका में सर्वाधिक कैसंर तम्बाकू के उपयोग के कारण या इसके शामिल होने से होती है, पुरूषों में 90% व 80% महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर से मौतें धूम्रपान का कारण हैं। तम्बाकू उपयोग फेफड़े, मुंह, होठ, जीभ, ग्रासनली, गुर्दे और मूत्राशय के कैंसर का कारण बनता है। कपड़े, लेदर, रबर, डाई, पेंट, और अन्य कार्बनिक रसायन उदयोगों में पाए जाने वाले कार्बनिक रसायनों के सम्पर्क में काम करने वाले पेशेवर लोगों में मूत्राशय कैंसर का जोखिम भी अधिक होता है और एस्बेस्टस के सम्पर्क में आने वाले लोगों में फेफड़े के कैंसर का जोखिम भी बढ़ता है।

तम्बाकू उपयोग के कारण एथेरोस्क्लेरोटिक धमनी संबंधी बीमारी (धमनियों का सख्त व सिकुड़ जाना) होती है, जिससे दिल के दौरे, आघात और कम सीमा में रक्त संचरण की कमी हो सकती है। तम्बाकू उपयोग के कारण अमेरिका में अनुमानित 20%-30% कोरोनरी हृदय रोग होते हैं। इससे उच्च कोलेस्ट्रॉल, अनियंत्रित उच्च रक्तचाप, मोटापा और एक सुस्त जीवनशैली से ग्रस्त लोगों में दिल के दौरे अधिक पड़ने का जोखिम बढ़ता है।

अमेरिका में अनुमानित 20% क्रोनिक फेफड़े की बीमारियां तम्बाकू उपयोग के कारण होती हैं, जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फिसीमा और क्रोनिक फेफड़े की बीमारी वाले लोगों में न्यूमोनिया होता है। 2011 में सीडीसी के अनुमान से 90% मौतें क्रोनिक अवरोधक फेफड़े की बीमारी (सीओपीडी) धूम्रपान से हुई थी।

* धूम्रपान करने वाली गर्भवती महिलाओं के बच्चों का वजन कम होने की अधिक संभावना होती है । * सेकेंड हैंड धूम्रपान के कारण बच्चों में मध्य-कान संक्रमण (ओटिटिस मीडिया), खांसी, घरघराहट, ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया और बच्चों में * अस्थमा बिगड़ना हो सकता है। सेकेंडहैंड धूम्रपान (कभी-कभी निष्क्रिय धूम्रपान की तरह निर्दिष्ट होता है) भी फेफड़े के कैंसर का कारण हो सकता है। * पूरी तरह से धूम्रपान छोड़ना मुश्किल है; तम्बाकू में निकोटीन होता है, जिसकी लत लगती है। कुछ धूम्रपान करने वाले "कोल्ड टर्की" से छोड़ सकते हैं, लेकिन अधिकांश के लिए धूम्रपान छोड़ने के लिए जीवनभर एक गंभीर वायदा और सफलता से पहले छोड़ने के लिए छह बार प्रयास करने होते हैं। * धूम्रपान छोड़ने की कोशिशों में व्यवहार बदलाव, परामर्श, निकोटीन च्यूइंग गम (निकोरेट गम) चबाना, निकोटीन त्वचा पैच (ट्रांसडर्म निकोटीन) या बूप्रोपियन (जिबान) जैसी मौखिक चिकित्सा शामिल हो सकती है। अत्यधिक शराब का सेवन करने से बचें अत्यधिक शराब सेवन के प्रतिकूल परिणाम: * अमेरिका में यकृत सिरोसिस का मुख्य कारण शराब का अत्यधिक सेवन है। आंतरिक रक्तस्त्राव, पेट में पानी भर जाना, आसानी से खून निकलना और त्वचा में निशान होना, मांसपेशी का बर्बाद होना, मानसिक भ्रम, स्पर्श रोग और ज्यादा मामलों में कोमा और गुर्दे की विफलता का कारण यकृत सिरोसिस हो सकता है। * यकृत सिसोसिस से यकृत कैंसर भी हो सकता है। * अमेरिका में शराब पीने से 40-50% मौतें वाहन दुर्घटनाओं में होती हैं। * घर में चोट लगने, डूबने और जलने से मौत का एक महत्वपूर्ण कारण शराब का उपयोग है। शराब पीने से उत्पन्न रोगों के कई उपचार हैं। लेकिन स्वास्थ्य लाभ के लिए पहला महत्वपूर्ण कदम है, यह मानना कि व्यक्ति को कोई समस्या है और हल करने के लिए वादा करना है। नामरहित अल्कोहलिक्स द्वारा संचालित 12-चरणीय शैली स्वत: सहायता कार्यक्रम एक प्रभावी उपचार हो सकता है। मनोवैज्ञानिकों और संबंधित पेशेवरों ने व्यक्तियों के भावनात्मक तनाव को अच्छे से संभालने और अत्यधिक शराब पीने का कारण बनने वाले व्यवहारों से बचाने में मदद के लिए कार्यक्रम तैयार किए हैं। निरंतर स्वास्थ्य लाभ के लिए परिवार के सदस्यों से समर्थन और सहमति अक्सर महत्वपूर्ण होती है। रोकथाम से पूर्वदशा में आने या विकट दीर्घकालीन नशे के लक्षणों से वापसी के लिए चिकित्सा उपयोगी हो सकती है। उच्च जोखिम वाले यौन व्यवहारों से बचें। उच्च जोखिम के यौन व्यवहार से यौन संक्रमित बीमारियों जैसे गोनोरिया, सिफलिस, दाद या एचाआईवी संक्रमण हो सकता है। उच्च जोखिम के यौन व्यवहार को मानव पेपिलोमावायरस संक्रमण फैलाने के लिए भी जाना जाता है, जो महिलाओं में ग्रीवा-संबंधी कैंसर और अन्य एनोगेनिटल कैंसर पुरूषों और महिलाओं दोनों में होने का कारण होता है। उच्च जोखिम वाले यौन व्यवहार में निम्नलिखित शामिल हैं: * एक से अधिक सेक्स पार्टनर * निम्नलिखित इतिहास वाले सेक्स पार्टनर: * इंट्रावेनस दवा लेने वाले * वेनेरियल बीमारी (यौन संक्रमित बीमारियां या एसटीडी)

संतुलित आहार चार्ट क्या है?



सभी आवश्यक पोषक तत्व शामिल सामग्री वाली सूची संतुलित आहार चार्ट है। इसमें सभी प्रकार के भोजन होते हैं और सुनिश्चित होता है कि हम अपने शरीर के लिए आवश्यक सभी चीजें अपने आहार/ भोजन में ले रहे हैं।

क्या हर गृहणी को अपने किचन में एक संतुलित आहार चार्ट लगाना चाहिए? आइए, चार्ट तैयार करने के चरण जानें......



* सलाद, जौ, बाजरा व अन्य तरह के सभी अनाज शामिल करें।

* अपने भोजन में विटामिन और खनिजों से भरपूर फल और सब्जियां शामिल करें।

* मछली और अंडे जैसे प्रोटीन के स्रोत जोड़ें।

* चीनी और नमक सहित, वसा और तेल का सेवन कम करें।

संतुलित आहार चार्ट का महत्व



* एक संतुलित आहार चार्ट का सर्वाधिक महत्व शरीर के सभी अंग अच्छी तरह काम करने के लिए है। शरीर में कोशिका, ऊतकों और अंगों के पोषण के लिए विटामिन और खनिज आवश्यक हैं।

* संतुलित आहार चार्ट के अनुसार भोजन की मात्रा लेने से स्वस्थ वजन बनाए रखने, शरीर की चर्बी घटाने, शरीर को ऊर्जा प्रदान करने, अच्छी नींद लेने और स्वस्थ जीवन का एहसास होने में मदद मिलती है।

मनुष्य के शरीर के लिए उपयोगी विटामिन



विटामन क्या हैं और इनका मानव शरीर के लिए क्या महत्व है?



विटामिन्स प्राकृतिक घटक हैं, जिनकी थोड़ी सी मात्रा जीवन बनाए रखने के लिए अनिवार्य है। हमें अधिकांश विटामिन हमारे द्वारा ग्रहण किए जाने वाले भोजन से मिलते हैं। ऐसा इस कारण से है कि हमारे शरीर में इन विटामिन्स का निर्माण पर्याप्त रूप से स्वयं नहीं होता है या बिल्कुल भी नहीं होता है। प्रत्येक प्राणी को भिन्न-भिन्न विटामन की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, मनुष्य के शरीर के लिए विटामिन सी या एस्कॉर्बिक एसिड बाहरी स्रोत से लेने की आवश्यकता होती है, जबकि कुत्तों को नहीं। कुत्तों के शरीर में पर्याप्त पर्याप्त विटामिन सी बनता है, लेकिन मनुष्य के शरीर में नहीं होता है।

मनुष्य के शरीर को विटामिन डी सूर्य के प्रकाश से मिलता है, क्योंकि यह पर्याप्त मात्रा में हमारे द्वारा भोजन से नहीं मिलता है। सूर्य के प्रकाश में मानव शरीर में विटामिन सी का संश्लेषण होता है। अलग-अलग विटामिन्स के अलग-अलग कार्य हैंं और शरीर को उनकी भिन्न-भिन्न मात्रा में आवश्यकता होती है।

विटामिन्स के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी



कुल मिलाकर 13 प्रकार के विटामिन्स की अभी तक खोज हुई है:



विटामिन या तो पानी में घुलनशील या वसा में घुलनशील होते हैं। वसा में घुलनशील विटामिन शरीर में ग्रहण करना पानी में घुलनशील विटामिन ग्रहण करने से अधिक आसान है। विटामिन में कार्बन मौजूद रहता है, इसलिए इन्हें “जैविक” कहा जाता है। भोजन विटामिन का सबसे अच्छा स्रोत है, लेकिन कुछ लोगों को पूरक आहार लेने की चिकित्सकों के द्वारा सलाह दी जाती है।

विटामिन क्या हैं?



फल और सब्जियां सभी विटामिन्स के अच्छे स्रोत हैं। विटामिन जैविक पदार्थों का एक समूह है, जो प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में अल्प मात्रा में पाया जाता है। सामान्य चयापचय (मेटाबॉलिज्म) के लिए विटामिन आवश्यक हैं। विटामिन एक कार्बनिक यौगिक, जिसका अर्थ है कि इसमें कार्बन होता है। यह एक आवश्यक पोषक तत्व है, जिसका उत्पादन शरीर में पर्याप्त रूप से नहीं होता है और इसे भोजन से प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।

वसा और पानी में घुलनशील विटामिन

विटामिन या तो पानी में या वसा में घुलनशील होते हैं।

वसा में घुलनशील विटामिन

वसा में घुलनशील विटामिन शरीर और लीवर की वसायुक्त कोशिकाओं में जमा होते हैं। विटामिन ए, डी, ई और के वसा में घुलनशील विटामिन हैं। ये पानी में घुलनशील विटामिन की अपेक्षा अधिक आसानी से जमा होने वाले विटामिन हैं और शरीर में कई दिनों और महीनों तक प्रभावी रहते हैं।

वसा में घुलनशील विटामिन वसा या लिपिड के माध्यम से आंतों की मदद से अवशोषित होते हैं।

पानी में घुलनशील विटामिन

पानी में घुलने वाले विटामिन लंबे समय तक शरीर में नहीं रूक सकते हैं। शरीर उनका संग्रह नहीं कर सकता है और वे मूत्र द्वारा जल्दी उत्सर्जित हो जाते हैं। इसके कारण, पानी में घुलनशील विटामिनों को वसा घुलनशील विटामिन से ज्यादा बार प्रतिस्थापित करने की आवश्यकता है।

विटामिन सी और सभी बी विटामिन पानी में घुलनशील हैं।

विभिन्न प्रकार के विटामिन



विटामिन ए



रासायनिक नाम: रेटिनॉल, रेटिनल और चार कैरोटेनॉइड, बीटा कैरोटीन सहित।

यह वसा में घुलनशील है। रात्रि में आंख नहीं दिखना और केरटोमलशिया, आंख का एक विकार, जिसके परिणामस्वरूप शुष्क कॉर्निया हो सकता है।

विटामिन ए के अच्छे स्रोत: लिवर, क़ॉड लिवर तेल, गाजर, ब्रोकली, मीठे आलू, मक्खन, गोभी, पालक, कद्दू, कोलार्ड ग्रींस, थोड़ा पनीर, अण्डे, खुबानी, खरबूज और दूध।

विटामिन बी



रासायनिक नाम: थियामिन।

यह पानी में घुलनशील है। इसकी कमी से बेरीबेरी और वेर्निक-कोर्सोकॉफ सिंड्रोम हो सकता है।

बिटामिन बी के अच्छे स्रोत: खमीर, सूअर का मांस, धान्य अनाज, सूरजमुखी के बीज, ब्राउन राइस, सम्पूर्ण-अनाज राई, गोभी, फूलगोभी, आलू, संतरे, यकृत और अण्डे।

विटामिन बी2



रासायनिक नाम: रिबोफ्लेविन

यह पानी में घुलनशील है इसकी कमी एरिबोफ्लेविनोसिस का कारण हो सकती है।

बिटामिन बी2 के अच्छे स्रोत: शतावरी, केले, तेंदू फल, लंबी भिंडी, चार्ड, कुटीर पनीर, दूध, दही, मांस, अण्डे, मछ्ली और हरी बींस।

विटामिन बी3



रासायनिक नाम: नियासिन, नियासिनामाइड

यह पानी में घुलनशील है। इसकी कमी के कारण पेलेग्रा, डायरिया, डर्मेटाइटिस और मानसिक अशांति हो सकती है।

विटामिन बी3 के अच्छे स्रोत: यकृत, दिल, किडनी, चिकन, गोमांस, मछ्ली (टूना, सैमन), दूध, अण्डे, एवोकैडो, खजूर, टमाटर, पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली, गाजर, मीठे आलू, शतावरी, बादाम, सम्पूर्ण-अनाज, फलियां, मशरूम और शराब बनाने वाला खमीर आदि।

विटामिन बी4



रासायनिक नाम: पैंटोथेनिक अम्ल यह पानी में घुलनशील है। इसकी कमी के कारण पैरेस्थेसिया या "पिन और निडिल" हो सकते हैं।

विटामिन बी4 के अच्छे स्रोत: मांस, सम्पूर्ण अनाज (पिसे अनाज में इसकी कम मात्रा हो सकती है), ब्रोकली, एवोकैडो, शाही जैली और मछ्ली के अंडाशय हैं।

विटामिन बी6



रासायनिक नाम: पाइरिडॉक्सिन, पाइरिडॉक्समाइन, पाइरिडॉक्सल

यह पानी में घुलनशील हैं। इसकी कमी के कारण एनीमिया, इमदादी न्यूरोपैथी और तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के कुछ हिस्सों को नुकसान हो सकता है।

विटामिन बी6 के अच्छे स्रोत: मांस, केले, सम्पूर्ण अनाज, सब्जियां और बादाम हैं। जब दूध सूख जाता है, तो उसमें से विटामिन बी6 का आधा भाग नहीं रहता है। फ्रीजिंग और कैनिंग भी विटामिन की मात्रा घट सकती है।

विटामिन बी7



रासायनिक नाम: बायोटिन

यह पानी में घुलनशील है। इसकी कमी के कारण डर्मेटाइटिस या इंटराइटिस, या आंत की सूजन हो सकती है।

विटामिन बी7 के अच्छे स्रोत: अंडे की जर्दी, यकृत, कुछ सब्जियां हैं।

विटामिन बी 9



रासायनिक नाम फोलिक अम्ल, फोलिनिक अम्ल यह पानी में घुलनशील है। गर्भावस्था के दौरान इसकी कमी से जन्म से जुड़ी समस्या हो सकती है। गर्भवती महिला को गर्भवती होने से एक वर्ष पहले से फोलिक अम्ल की न्यूनता पूर्ण करने के लिए कहा जाता है। फोलिक अम्ल के अच्छे स्रोत: पत्तेदार सब्जियां, फलियां, यकृत, मशरूम, थोड़े तैयार अनाज उत्पाद और सूरजमुखी बीज हैं। कुछ फलों में इसकी हल्की मात्रा जैसे बीयर में होती है।

विटामिन बी 12



रासयनिक नाम: साइनोकोबलामिन, हाइडॉक्सोकोबलामिन, मेथिलकोबलामिन

यह पानी में घुलनशील है। विटामिन बी 12 की कमी के कारण मेग्लोब्लास्टिक एनीमिया ऐसी स्थिति जिसमें अस्थि मज्जा असाधारण रूप से बड़ी, असामान्य, अविकसित लाल रक्त कोशिकाओं को उत्पन्न करता है। विटामिन बी 12 के अच्छे स्रोत: मछ्ली, घोंघा, मांस, चिकन, अण्डे, दूध और डेयरी के उत्पाद, थोड़े तैयार अनाज और सोयाबीन के उत्पाद, साथ ही साथ तैयार पोषित खमीर। शाकाहारियों को विटामिन बी 12 के पूरक लेने की सलाह दी जाती है।

विटामिन सी

इसका रासायनिक नाम एस्कॉर्बिक अम्ल है।

यह पानी में घुलनशील है। विटामिन सी की कमी के कारण मेग्लोब्लास्टिक एनीमिया होता है।

विटामिन सी के अच्छे स्रोत: फल और सब्जियां हैं। काकाडू बेर और कैमू कैमू फल में सभी खाद्य पदार्थों से ज्यादा विटमिन सी होता है। यकृत में भी उच्च स्तर पर होता है। पकाने से विटामिन सी नष्ट होता है।

विटामिन डी रासायनिक नाम एर्गोसेल्सिफेरोल



यह विटामिन वसा में घुलनशील है। विटामिन डी की कमी के कारण रिकेटस और ओस्टेम्लसिया या हड्डियां नरम हो जाती हैं।

विटामिन डी के अच्छे स्रोत: सूर्य की रोशनी या दूसरे स्रोतों के माध्यम से पराबैंगनी बी पहुंचने के कारण त्वचा में विटामिन डी उत्पन्न होती है। विटामिन डी वसायुक्त मछली, अण्डे, गौमांस यकृत और मशरूम में भी पाया जाता है।

विटामिन ई



रासायनिक नाम टोकोफेरोल्स, टोकोट्रेनॉल्स हैं यह वसा घुलनशील है। विटामिन ई की कमी असाधारण है, लेकिन इसके कारण नए जन्मे बच्चों में हेमोलिटिक एनीमिया होता है। यह ऐसी स्थिति है, जिसमें रक्त कोशिका खराब और जल्दी रक्त से अलग हो जाती हैं। विटामिन ई के अच्छे स्रोत कीवी फल, बादाम, एवोकैडो, अण्डे, दूध, नट्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, बिना उबला वनस्पति तेल, गेहूँ के बीज और सम्पूर्ण अनाज।

विटामिन के



रासायनिक नाम फिलोक्विनोन, मेनाक्विनोंस यह वसा घुलनशील है। विटामिन के की कमी के कारण खून बहने की प्रवृति, खून बहने के लिए एक असामान्य संवेदनशीलता होती है। विटामिन के के अच्छे स्रोत हरी पत्तेदार सब्जियां, एवोकैडो, कीवी फल हैं। अजवाइन में बहुत अधिक विटामिन के होता है।

* उपापचय बढाने के लिए विटामिन बी1 आवश्यक है, जो फलीदार पौधों, नट्स और बीजों आदि में पाया जाता है। एस्क्रेबिक एसिड (विटामिन सी) आयरन अवशोषण करने में और प्रतिरक्षित तंत्र को सुरक्षा देता है; जो फलों जैसे साइट्रस फलों और सब्जियों जैसे टमाटर, आलू, लेटिष आदि में पाया जाता है।

* नई कोशिकाए बनाने के लिए कोबलामिन (विटामिन बी12), जो मीट, मुर्गी, मछ्लियों, सीफूड, अण्डों, दूध और दूध से बने उत्पादों में पाया जाता है।

* विटामिन ए एक वसा-घुलनशील विटामिन है जो मीठे आलू, गाजर, हरे पत्ते वाली सब्जी, बेल पत्री, मछ्ली, लिवर और उष्ण फलों आदि में पाया जाता है।



आपका स्वास्थ्य व आपकी लाइफस्टाइल



मनुष्य का स्वास्थ्य व लाइफस्टाइल उसकी शारीरिक स्थिति, मानसिक स्थिति, सामाजिक स्थिति व आर्थिक स्थिति की वह संयुक्त स्थिति है, जिसके कई कारक हैं, जैसे पोषणयुक्त-भोजन, अनुकूल व्यायाम, स्वच्छ परिवेश व खुशहाल समाज।

स्वस्थ जीवन जीने का अवसर मनुष्य को खुद बनाना है, यह उसका अधिकार है, विशेषाधिकार नहीं। आज तकनीक अपने चरम सीमा में है, फिर भी विश्वभर में समय से पहले होने वाली मृत्यु में से 70% मृत्यु ऐसे रोगों के कारण होती है, जिन्हें मनुष्य के जीवन काल में दैनिक रूप से स्वस्थ स्वास्थ्य व लाइफस्टाइल को अपनाने से रोका जा सकता था/अभी भी किया जा सकता है..बस इंसान को इस बारे में जागरूक करने के जरूरत है।

आपका स्वास्थ्य व आपकी लाइफस्टाइल से बनता है जीवन खुशहाल, जिसका परिणाम है – लंबी उम्र



आप, मैं या कहें हम सभी लोग स्वस्थ और लंबी उम्र तक जीने की इच्छा रखते हैं, बशर्ते कि हमारे पास पर्याप्त साधन हों। दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां के लोग लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीते हैं। भारत के लोगों की औसत आयु 68.3 वर्ष है, जिसमें पुरुषों की औसत आयु 69.9 और महिलाओं की 68.3 है। इन आंकड़ों से भारत लाइफ एक्सपेक्टेंसी की वर्ल्ड रैंकिंग में 123 वें स्थान पर है। जबकि इस मामले में शीर्ष में मोनाको है। यहां के लोगों की औसत आयु 89.63 वर्ष है। दूसरे में हांगकांग के लोगों की औसत आयु 84 वर्ष है, जिसमें महिला की औसत आयु 87 वर्ष और पुरुष की औसत आयु 81 वर्ष है।

वह लंबी उम्र भी क्या, जिसमें दुख, दर्द व अशांति रहे। इसलिए महज लंबी उम्र होना स्वस्थ जीवन नहीं है। लंबी उम्र होने के साथ-साथ शरीर स्वस्थ, जीवन में खुशी हो। खुशी किस प्रकार की व कितनी हो, कैसे हो, ये व्यक्गित बातों पर निर्भर है। कुल मिलाकर खुश रहना ही हर व्यक्ति के जीवन का मकसद होता है। ये अलग बात है कि हर किसी को अलग-अलग चीजों से और भिन्न-भिन्न पहलुओं और मात्रा की आवश्यकता होती है। इस परिक्षेप्य में हम बात करेंगे दुनिया के सबसे खुशहाल व्यक्ति की, जो इस संसार के सर्वाधिक खुश व्यक्ति हैं - जिनका नाम है - मैथ्यू रिचर्ड

जिओ हैप्पी लाइफ विद हर्बल्स


जिस तरह से आज रिलाएंस जिओ ने दूरसंचार के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी है, ठीक उसी तरह से मनुष्य के स्वावस्थ्य के संबंध में हर्बल्स ने मानव जीवन को तंदुरूस्त बनाते हुए जीवन अवधि में बहुत बड़ा इजाफा किया है, जिसमें बासिल या तुलसी टी, जूस मानव शरीर में ऐसे उपयोगी घटक उत्पन्न करते हैं, जिनकी संख्या या मात्रा बढ़ती जाती है और शरीर को मजबूत और स्वस्थ बनाते हैं। रिलाएंस के फ्री डेटा प्लान नियम व शर्तों के अनुसार बदल सकते हैं, लेकिन इस हर्बल सामग्री का उपयोग कभी भी नहीं बदलता है, जिससे आदि काल का मानव वर्तमान युग के मानव से अधिक जीवन जीता था।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के लिये उपयोगी साबित हुई वनस्पतियों को जड़ी-बूटी कहा जाता है, जिनमें से विशेष सुगंध आती है। औषधीय गुणों के कारण जड़ी-बूटी का विशेष महत्व है। पाषाण काल से लेकर आज के वर्तमान युग में किसी भी गांव, शहर व देश के अनपढ़ हों या शिक्षित, सभी लोग जड़ी-बूटी से वाकिफ हैं। जड़ी-बूटी का उपयोग औषधीय रूप में वर्षों से किया जा रहा है। आज के आधुनिक काल में जड़ी-बूटी को हर्बल प्रोडक्ट के नाम से जाना जाता है। जड़ी-बूटी सिर्फ औषधि ही नहीं, बल्कि इसे दैनिक भोजन में भी उपयोग किया जाता है।

अगर आपने निश्चय कर लिया है कि शरीर को स्वस्थ रखकर लंबी उम्र पाकर जीवन का आनंद लिया जाए, तो फिर ये हलचल कैसी है...थाम लो यारो अपना वर्तमान समय जो आपके जीवन की इकाई है। इससे आपको अपने वर्तमान समय और संभावित भविष्य का आभास होता है। शरीर स्वस्थ ही नहीं है तो लंबी उम्र होना भी बहुत बड़ी बीमारी है, स्वस्थ शरीर नहीं होने का अर्थ है कि कोई न कोई शारीरिक, मानसिक या आर्थिक समस्या है, जिसके परिणामस्वरूप लोग अपनी लाइफ स्टाइल खो देंगे। घर में अगर पैरेंट्स ही स्वस्थ नहीं है या वे अपने बच्चों को स्वास्थ्य के प्रति सचेत नहीं कर सकते हैं, तो कैसे वे आप आश लगाए बैठे हैं कि उनका बच्चा डॉक्टर, इंजीनियर या कोई स्पोर्ट्स मैन या फिल्मी स्टार बन सकता है। ये बड़ी बात नहीं है कि आपका बच्चा कंप्यूटर चलाना सीख गया है या डिजिटल गेम्स में उसकी अच्छी पकड़ है। सावधान हो जाइए, उन्हें वास्तविकता के सामने लाएं, मतलब उन्हें वास्तविक जीवन का महत्व बताएं। ताजा सर्वेक्षणों से जो आंकड़े सामने आए हैं उनमें से अधिकांश मामलों से पता चलता है कि बच्चों की आदतें घर से ही खराब होती हैं और उनका समय रहते समाधान न निकालने पर परिणाम इतने भयावह निकले हैं कि जिनमें जान-माल की क्षति से लेकर सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी आंच आने के दुष्परिणाम देखने को मिले हैं। शरीर स्वस्थ ही नहीं है तो लंबी उम्र होना भी बहुत बड़ी बीमारी है, स्वस्थ शरीर नहीं होने का अर्थ है कि कोई न कोई शारीरिक, मानसिक या आर्थिक समस्या है, जिसके परिणामस्वरूप लोग अपनी लाइफ स्टाइल खो देंगे। आइए, बनाएं अपनी लाइफस्टाइल स्मार्टर!



अपने बच्चों की गतिविधियों को नजरअंदाज करने का परिणाम नैतिकता व उपयुक्त शिक्षा का अभाव जिसके कारण किशोरावस्था में ही संपन्न परिवारों के बच्चे अपनी जीवन लीला समाप्त करने का दुःसाहस कर रहे हैं, जबकि शारीरिक व आर्थिक रूप से पिछड़े हुए समाज के बालक-बालिकाएं परिश्रम कर परिवार के रोजमर्रा जीवन में अपना सहयोग दे रहे हैं!

क्या आपको पता है बच्चे खेल-खेल में कभी कुछ ऐसी क्रियाएं करने लगते हैं, जो पैरेंट्स / स्त्री और पुरूष के बीच समय के साथ होती हैं। ऐसी क्रियाएं बच्चों ने देखी भी होती हैं, तो भी वे अपने हमउम्र के बच्चों के साथ करने का प्रयास करते हैं। क्या यह मानव जीव की प्रकृति है।



चालीस से पचास वर्ष उम्र की महिलाएं पच्चीस से पैंतीस वर्ष उम्र की महिलाओं से कर सकती हैं और कई स्मार्ट स्त्रियां वर्तमान में कर रही हैं कम्पीटीशन और प्रमाण प्रस्तुत किए हैं कि उनमें भी है दम, भले ही कोई काम हो. वास्तविक सुखी जीवन में काम एक सिर्फ कार्य ही नहीं अपितु एक बहुत बड़ा रोचक और आवश्यक दैनिक कार्यविषय भी है....

क्या यही है शान से जीना....स्पाइसी/ मसालेदार व स्वादिष्ट फूड खाना, देर तक सोना, महंगे कपड़े पहनना, डिजिटल दुनिया में स्वयं को व्यस्त रखना!

आज की समझदार युवती हो या हो कोई युवक या गृहिणी हो या फिर नौकरी पेशे में व्यस्त इंसान। सभी को पैसे की जरूरत होती है, पर इतना भी अनिवार्य नहीं है कि आप लोग पैसे के पीछे भागते रहें, न अपने स्वास्थ्य की चिंता और न अपने घर परिवार के सदस्यों की उचित देखभाल। जो दिखता है वह असल में होता नहीं है। आप आधुनिक सैलून से मेकअप करवाकर और महंगे लिबास पहन कर किसी भी सोशल मीडिया साइट पर अपनी ताजा फ़ोटो व वीडियो पोस्ट करके सिर्फ उस आभासी दुनिया में ही स्वस्थ दिख सकते हो, लेकिन असल जिन्दिगी में कभी नहीं। आपको घर से बाहर निकलने से पहले अपने चेहरे को संवारने की जरूरत होने लगी है। क्यों? इसका मुख्य कारण है आपकी लाइफ स्टाइल, जिसमें आप अपने शरीर के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं, जिसका नतीजा होता है आप समय से पहले बूढ़े दिखने लगते हैं और शरीर के अंग ठीक से कार्य नहीं करते हैं और आपको जाना पड़ता है डॉक्टर के पास! प्रकृति ने एक नहीं बल्कि अनेक चीजें आपको उपहार स्वरूप दे रही हैं, जिनके उचित उपयोग से आप आजीवन स्वस्थ व तंदुरूस्त रहते हुए अपने जीवन के सभी सुखों का आनंद ले सकते हैं। यही है शान से जीना है कि देखने वाले भी कहें काश हम भी इन्हीं की तरह शान से जीते! यह स्थिति पाना तभी संभव है, जब आप अपनी शरीर को थोड़ा कष्ट दें। शान से जीने के लिए शरीर को कष्ट देना पड़ेगा, परंतु शरीर को अधिक आराम देने से आप शान से कभी नहीं जी सकते हैं।

ये पूर्णतया सत्य है कि इस दुनियां में मानव जीवन एक सीमित समय के लिए है। प्रत्येक मनुष्य अपनी लाइफस्टाइल को विशिष्ट बनाने के लिए अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखकर अपने मानव जीवन के विभिन्न प्रकार के सुखों का आनंद ले सकता है। स्वास्थ्य संबंधी क्रियाकलाप हों या मनोरंजनात्मक गतिविधियां, इन सभी के सफल क्रियांवयन से स्त्री हो पुरूष, अपने जीवन में चार-चांद लगाने की महान उपलब्धि प्राप्त कर पाते हैं।

इस बात का महत्व नहीं है कि आप कितने अमीर या गरीब हैं, बल्कि महत्वपूर्ण बात यह है कि आपकी दैनिक गतिविधियां क्या हैं और उनका आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। ये सभी गतिविधियों से निर्धारण होता है कि आप कितने वर्ष जीवित रहेंगे, उनमें से कितने समय तक आप स्वस्थ और बीमार रहेंगे और किस सीमा तक आपको परेशानियां झेलनी पड़ेंगी। सब कुछ सामने है, पर इंसान तात्कालिक प्रभाव के आवेश में कुछ चीजों को अनदेखा कर रहा है और चलो ठीक है, कहते हुए समय व्यतीत कर रहा है, जो एक बड़ा दुष्कर्म है, जिसका प्रभाव एक परिवार के अन्य सदस्यों को ही नहीं, आस-पड़ोस के साथ-साथ व्यापक रूप में फैलता है और समाज में अनेक प्रकार की बीमारियां फैलती हैं और मानव जीवन यापन का स्तर घटता जाता है। इन सभी के परिणामस्वरूप मनुष्य अपने जीवन जीने के घटिया मानक स्तर से अन्य लोगों के जीवन स्तर को प्रभावित करता है। इसलिए एक व्यक्ति की नहीं सभी लोगों की सामूहिक रूप में जिम्मेदारी बनती है कि मनुष्य का स्वास्थ्य हो या लाइफस्टाइल, इसे बेहतर करने की युक्तियां व सुझाव आपस में साझा करने से घर-परिवार, देश व दुनियां की प्रगति होने के साथ जीवन खुशहाल होता है।

क्या दुनिया के सबसे दौलतमंद शहर, मास्को के लोग सबसे ज्यादा रईस होने के साथ सर्वाधिक खुश हैं! रूस देश का राजधानी शहर, मास्को की गिनती विश्वभर के सुविधा संपन्न और दौलतमन्द शहरों में सबसे ऊपर रखा गया है। यहां दुनिया के सबसे ज्यादा दौलतमंद लोग रहते हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर न्यू्यॉर्क में रहने वाले अरबपतियों की संख्या है। अगर हम बात भारत के संदर्भ में करें, तो यहां भारत की आर्थिक राजधानी कहा जाने वाला शहर, मुंबई भारत का सबसे रईस शहर है। इंसान का स्वास्थ्य ठीक होता है तो सब कुछ ठीक है, वरना आपके पास कुछ भी हो, सब व्यर्थ है।

आपकी लाइफस्टाइल के साथ-साथ आपकी पारिवारिक लाइफ व पर्सनल लाइफ:



क्या आप भी कहती हैं अपने हजबैंड से कि हमारा एक साथ रहना ही तो नंबर वन यारी है या आपके हजबैंड कहते हैं डार्लिंग वर्षों से इस लाइफस्टाइल से रहना तो हमारी नंबर वन यारी है। आप स्त्री हों या पुरूष, यदि परिवार में आप दोनों खुश हैं, तो ही जिंदगी हसीन व खुशहाल लगती है, वरना इस आधुनिक लाइफस्टाइल में मनुष्य का दिमाग कब बदल जाए और अपने पारिवारिक जीवन की परवाह किए बिना अपनी पर्सनल लाइफ तक सीमित रहने लगे। सावधान हो जाएं! कहीं आपका पार्टनर आपके साथ सिर्फ दिखावा तो नहीं करता।

क्या लाइफस्टाइल और खानपान से लंबे समय तक बरकरार रह सकता यौवन!



एक साधारण या असाधारण तथ्य....

क्या लाइफस्टाइल और खानपान से लंबे समय तक बरकरार रह सकता यौवन!

नासमझ व्यक्तियों के लिए एक साधारण या किंतु समझदार व्यक्तियों के लिए असाधारण या यूं कहें जीवन में एक महत्वपूर्ण समय, जब इंसान अपने जीवन के वे सभी कार्य व्यवहार में लाता है, जो इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं क्या किसी व्यक्ति विशेष का लाइफस्टाइल एक खुशहाल स्थिति का आदर्श उदाहरण है....

स्वस्थ स्वास्थ्य व वास्तविक खुशी एक दूसरे के पूरक हैं, जिस तरह से वास्तविक खुशी स्वस्थ स्वास्थ्य के बिना नहीं मिल सकती है, ठीक उसी तरह से स्वस्थ शरीर बिना वास्तविक खुशी के नहीं मिल सकता है! आइए चलें, वास्तविक खुशी ढूंढें और कहें लव यू जिंदगी!


आप किस प्रकार के व्यक्ति हैं?

कैन यू लेट मी नो हाउ मच रोमांटिक यू आर ...

हाउ मच इंजॉय फ़्रेंड्स कैन मेक...

फ़्रैंड्स लाइफ इज मोर इंटेरस्टिंग ... लेट्स फाइंड!

पहले स्वयं करें, फिर अपने बच्चों को फ़ोलो करने को कहें यानि कि आपको बनना है रोल मॉडल...आप देखते जाएंगे कि आपके बच्चे आपकी अपेक्षा के अनुरूप या उससे भी कहीं अधिक अच्छा कार्य करते हैं। आज़मा कर देखें! बच्चों से लेकर ही दुनिया है...सभी परिवार अपने-अपने बच्चों के लिए कार्य करते हैं और उनसे आशा करते हैं कि उनका कैरियर अच्छा बने, और इसी आशा के साथ लोग जीवन निर्वाह कर रहे हैं। क्या है आपकी राय!

आप पुरूष हैं या स्त्री, इस बात का कोई महत्व नहीं है यहां पर। आपको रास्ते में कोई व्यक्ति स्त्री या पुरूष दिखता है, तो आपका उससे कैसे संपर्क बनता है। आप हैलो कहते हैं या मन में मुस्करा कर चेहरे पर खुशी का भाव लाकर उन्हें मुस्कराने पर मजबूर कर देते हैं! मनुष्य का स्वभाव व आचरण ही प्राथमिक गुण हैं, जिनसे मनुष्य एक-दूसरे के संपर्क में आकर समूह का रूप देते हैं, जो आगे समाज, सोसाइटी के रूप में विकसित होकर क्षेत्र, कस्बा, शहर या देश का रूप लेता है। इस प्रक्रिया को अगर वैज्ञानिक नाम दें, तो यह समाज की इकाई, परिवार का विकसित रूप है। मनुष्य का स्वभाव व आचरण ही प्राथमिक गुण हैं, जिनसे मनुष्य एक-दूसरे के संपर्क में आकर समूह का रूप देते हैं, जो आगे समाज, सोसाइटी के रूप में विकसित होकर क्षेत्र, कस्बा, शहर या देश का रूप लेता है। इस प्रक्रिया को अगर वैज्ञानिक नाम दें, तो यह समाज की इकाई, परिवार का विकसित रूप है।

क्या आप नहीं चाहते, आपके बच्चे भी कहें कि हमारे मम्मी – पापा तो ग्रेट हैं!


क्या आप भी खेलती हैं अपने बच्चों के साथ कुछ इस तरह से ... देखने के लिए क्लिक करें इस वीडियो पर

Video

आप यह न समझें कि इशारा आप की ओर है - आप तो स्वस्थ और तंदुरूस्त हैं, लेकिन आपको अपने बच्चों की सेहत का भी विशेष ख्याल रखना है! आज कम्पीटिशन बहुत बढ़ गया है। जरूरी नहीं आपके बच्चे केवल डॉक्टर, इंजीनियर ही बने, और अभी अच्छे और बेहतरीन कैरियर के क्षेत्र हैं – आपका बच्चा भी बन सकता है एम एस धोनी या विराट कोहली की तरह के सफल क्रिकेटर, टेनिस स्टार और बैडमिंटन, बास्केबॉल, कुश्ती या हॉकी का स्टार प्लेयर!

आपका बच्चा भी शामिल हो सकता है उन प्लेयर्स में से एक, जिन्हें सारी दुनिया देख रही है फीफ़ा के वर्तमान में चल रहे अंडर 17 फ़ुटबॉल टूर्नामेंट में।
देर किस बात की है, पहले बच्चों को जानकारी देने के साथ-साथ अभ्यास करना है। स्पोर्ट्स में रूचि नहीं ले रहे हैं, तो बन सकते हैं टीवी, फ़िल्म स्टार क्योंकि कैरियर और व्यापक रूप में है। डांस न करना चाहे तो दे सकता संगीत के क्षेत्र में मधुर संगीत।

इसलिए खुश रहते हुए अपनी जीवनचर्या वहन करने के साथ अपने बच्चों के कैरियर पर ध्यान देते हुए उनका स्थास्थ्य तंदुरूस्त बनाए रखने के लिए प्राकृतिक हर्बल्स का सेवन उन्हें समय पर कराते रहें।

हर परिवार की कहानी है – सुख, दुख तो आते जाते रहते हैं, परंतु दुख को दूर करते हुए स्थायी रूप से सुख पाने का प्रयास तो हर जिम्मेदार व्यक्ति को करना चाहिए। बच्चों को क्यों दोष देते हो, वे तो आपको देखकर ही बढ़ रहे हैं, जैसा आप करेंगे, उसी रास्ते पर वे भी चलेंगे।

कैसे बनाएं लंबी उम्र....... स्वस्थ शरीर के साथ




मनुष्य जीवन में आयु और आय का महत्व!



आप अपने जीवन में किसे प्राथमिकता देते हैं – आय या आयु



आयु है तो आय है। मनुष्य की जिन्दिगी का आयु और आय से सीधा संबंध है। आयु होने का अर्थ है कि कोई जीवन मौजूद है और उस जीवन को जीवित रखने के लिए वह कुछ भी सामग्री चाहिए, जो वह जीवन जी रहे इंसान की आय है। आप कितनी भी आय बढ़ा लें, अपनी आयु बढ़ाने के लिए आपको स्वस्थ भोजन अर्थात प्राकृतिक हर्बल्स उपयोग में लाने ही होंगे, अन्यथा आप होते हैं शिकार: अपने बढ़ते वजन के, पेट का आकार बढ़ने, ये दो बीमारियां ही नहीं आपकी लाइफ स्टाइल में आने वाले दो मुख्य बाधाएं हैं। भगाओ इन्हें अपने शरीर से – जिसका परिणाम है आप चुस्त, दुरूस्त, चेहरे में खुशी और लंबी उम्र।
आप स्वयं कॉर्पोरेट सेक्टर में जॉब करते हैं और जॉब में ग्रोथ चाहते हैं, तो देरी न करें, इन शहरों में जॉब तलाशने की। भारत में श्रेष्ठ शहर, जहां आप अच्छे जॉब के साथ अपनी जिन्दिगी के मजे ले सकते हैं:

1. बेंगलुरू

2.पुणे

3.हैदराबाद

4.मुम्बई

5.दिल्ली

6. चेन्नई

7. अहमादाबाद

मनुष्य के शरीर को स्वस्थ रखने में नींद का महत्व




मनुष्य के लिए कितनी नींद लेना पर्याप्त है, इस प्रश्न पर तब अधिक चर्चा होती है, जब आज कॉर्पोरेट सेक्टर में 24X7 समय के प्रारूप पर जॉब कर रहे लोगों के स्वास्थ्य से संबंधित आंकड़े सामने आते हैं। किसी भी आयु वर्ग का मनुष्य कोई भी उपयुक्त पोषण युक्त खाद्य पदार्थ या हर्बल उत्पादों का सेवन करता हो, शरीर को तंदुरूस्त रखने के लिए कोई भी व्यायाम करता हो, यदि अपने दैनिक कार्यों के अनुसार पर्याप्त रूप में नींद नहीं लेता है, तो शरीर को स्वस्थ रखना बहुत मुश्किल है। इसलिए शरीर को उचित रूप में आराम देने के लिए पर्याप्त नींद लेना बेहद जरूरी है।


...मनुष्य को स्वास्थ्य स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक खान-पान, दैनिक जीवन व्यवहार में हंसना, मुस्कराना, खुश रहना, उचित व्यायाम के साथ-साथ पर्याप्त नींद लेना भी जरूरी है। आपको हर रोज कितनी नींद लेनी चाहिए, आपके दैनिक जीवन से संबंधित क्रिया-कलापों पर निर्भर है। हालांकि, हर व्यक्ति की निद्रा आवश्यकता अलग-अलग होती है, नीचे उम्र के अनुसार मनुष्य के लिए पर्याप्त नींद लेने की सिफारिश की गई है।



न्यू बॉर्न के लिए 16–18 घंटे रोज


प्री-स्कूल की उम्र के बच्चों के लिए 11–12 घंटे रोज


स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए कम से कम 10 घंटे रोज


किशोरा अवस्था के बच्चों के लिए 9–10 घंटे रोज


वयस्क (वृद्ध व्यक्ति सहित) के लिए 7–8 घंटे




आपका घर व आपकी सोसाइटी – मिनी कंट्री, जैसे मिनी इंडिया पर्यावरण के अनुकूल होने पर आपके वर्तमान जीवन के साथ-साथ आपके बच्चों के कदम अच्छे स्वास्थ्य की ओर

जिस तरह से किसी देश की पार्लियामेंट (संसद) में सरकार द्वारा पब्लिक की भलाई के लिए निर्धारित किसी सकारात्मक प्लान को कार्य रूप देने में विपक्षी दल के अलग-अलग सदस्य एक मुद्दा बनाकर उसे सार्थक करने में बाधा डालते हैं, ठीक उसी तरह से मनुष्य के शरीर में सतत गति से चलने वाली प्रक्रियाओं में बाधा डालने का कार्य वे विभिन्न रोग व बीमारियां करती हैं, जो अलग-अलग तरह से मनुष्य के शरीर में पनपती हैं। जिस तरह से किसी समूह, सोसाइटी व देश में अलग-अलग मत व विचारों के आधार पर पक्ष व विपक्ष के लोग होते हैं, उसी प्रकार से मानव शरीर के विभिन्न अंग, आवश्यक मात्रा में उपलब्ध हार्मोन, गुणसूत्र स्वस्थ शरीर के पक्ष में व विभिन्न रोग और बीमारियों के कारक कई एसिड्स, आवश्यकता से अधिक हार्मोन व गुणसूत्र विपक्षी दल के रूप में कार्य करते हैं। इसके अलावा शरीर में खान-पान व प्रदूषण से होने वाले रोग और बीमारियों के कारक, जैसे वायरस इत्यादि को व्यापक रूप में शरीर में प्रवेश करने वाले आतंकवादी कहें, तो गलत नहीं होगा। तो इसी क्रम में संपूर्ण मानव जाति को नेचुरल हर्बल्स का सेवन कर विभिन्न प्रकार के वायरस हटाने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक करनी होती है।


प्रोडक्ट ऑनलाइन उपलब्ध हैं यानि कि अब .com साइट्स पर सब कुछ मिलता है, तो कौन जाए सेंट्रल मार्केट और सदर बाजार! बहू हो या बेटी, आज सभी अपनी पसंद की चीजें .com साइट्स, जैसे Amazon.com या Flipkart से खरीद रहे हैं। जहां आपको पसंद करने के विकल्प मिलते हैं, जितनी बार चाहें, जब चाहें, देखें, पूरे विवरणों की समीक्षा करें। इसके अतिरिक्त सोशल साइट्स, जैसे Facebook.com, Twitter या LinkedIn पर अपने मित्रों से प्रोडक्ट के बारे में अधिक जानकारी ले सकते हैं। शॉप टू शॉप भटकने की जरूरत नहीं रही अब। वर्तमान समय में व्यस्त जीवन के कारण समय की कमी होने से मनपसंद शॉपिंग करने के लिए समय मिलना मुश्किल हो गया है, जिससे आज सभी लोग अपनी आवश्यकता की चीजें ऑनलाइन खरीद रहे हैं।


बहू व सासू मां के बीच का झगड़ा paytm ने सुलझाया!

आज के व्यस्त जीवन में भारत में नोटबंदी के बावजूद बहू व सास दोनों paytm उपयोग करना जान गए हैं, तो सासू मां कहती है, अब मेरे बेटे को कोई भी यूटिलिटी बिल, जैसे बिजली का बिल, गैस का बिल व मोबाइल रीचार्ज इत्यादि के लिए लाइन में खड़ा रहना तो क्या घर से बाहर नहीं जाना पड़ता है, क्योंकि paytm लाया है सारी सुविधाएं, एक क्लिक में पेमेंट।


आपकी लाइफस्टाइल में ताजगी आती है आपके पोशाक से

क्या आप पहनती हैं विभिन्न डिजाइनरों के द्वारा तैयार किए गए कपड़े, जो फैशन ही नहीं, बल्कि आपके स्वास्थ्य व लाइफस्टाइल की जानकारी देते हैं। शादी से पहले आप किस्म-किस्म के नए फैशनेबुल कपड़े पहनती थीं जैसे विभिन्न प्रकार के डिजाइनर द्वारा तैयार कपड़े, जींस, टॉप व साड़ी। क्या आप शादी के बाद भी उसी तरह के कपड़े पहनती हो, जिस तरह से आपके परिवार में मौजूद अन्य लड़कियां और औरतें पहनती हैं। हालांकि, किसी देश व सोसाइटी की स्त्रियां अपने स्थान व अपनी स्टेट्स के अनुसार साधारण व फैशनेबल कपड़े पहनती हैं। मैरिड हों या अनमैरिड, आज की दुनियां में ऐसा निर्धारित नहीं है, जब चाहें, जैसे चाहें, अपने मनपसंद कपड़े पहनना ही तो लाइफस्टाइल है और तभी हर स्त्री कह सकती है कि ये मेरी लाइफ या डियर जिंदगी है।


किस कपड़े से बनी हो आपकी ड्रेस या रोज पहने जाने वाले अन्य कपड़े:




हाथ से काता और बुना खादी का कपड़ा सभी के लिए स्वास्थ्यकर होता है। खादी कपड़े में विभिन्न प्रकार से डिजाइन कर इससे बने कपड़े और आकर्षक बनाए जा सकते हैं। खादी का कपड़ा प्राकृतिक रेशे (सूत) से बनाया जाता है। इस कपड़े की विशेषता यह है कि इससे कोई भी चर्म रोग होने की संभावना नहीं होती है। भारत और विदेश के सौंदर्य उद्योग में वर्तमान में खादी के कपड़े आम हो चुके हैं। भारत से लेकर अमेरिका, यूरोप व संपूर्ण दुनियां के डिजाइनर विभिन्न प्रकार के पोशाक खादी के कपड़े से डिजाइन कर रहे हैं। कोई भी फैशन कंपीटिशन हो, जैसे नेशनल या इंटरनेशल स्तर पर आयोजित होने वाले ब्यूटी कॉंटेस्ट, ऑडिशंस व अन्य फैशन प्रदर्शिनियां, ज्यादातर डिजाइनर अपने खादी कलेक्शन प्रस्तुत कर रहे हैं।

नवयुवक, नवयुतियां, मॉडल या फिल्मों में अपनी अदाओं के जलवे बिखेरने वाली हीरोइनें भी खादी कपड़े से तैयार भारतीय परिधान व वेस्टर्न टाइप के वस्त्र पहनना अधिक पसंद करते हैं। विशेष बात यह है कि विदेशी डिजाइनर भी अब अपने कलेक्शन को खादी स्टोर नाम दे रहे हैं। खादी का उपयोग कपड़े बनाने से लेकर घरों को सजाने की चीजें, जैसे तकिए के कवर, सोफा कवर और आम जीवन में पहने जाने वाले सैंडल्स व जूतों को नया स्टाइलिश रूप देने में किया जा रहा है। खादी कपड़े का महत्व इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में पोशाक हो या अन्य सुरक्षा व सुविधा किट, सभी के लिए खादी कपड़ा उपयोग किया जा रहा है।




आप किसी भी ब्रांड का कोई भी कपड़ा देखना चाह रहे हैं, खरीदना चाह रहे हैं या मित्रों को सुझाव देना चाहते हैं, भले ही आप अपनी रोजमर्रा के जीवन, किसी विशेष फेस्टिविल में पहनने के लिए कपडे खरीद रहे हों या फिर आपकी शादी होने वाली है, मौसम कैसा भी है जाड़े या गर्मी का! Amazon, Flipkart, Myntra, Jabong, Makemyorders, American swan, koovs, limeroad, yebhi, voonik, shoppersstop, yepme, zovi, craftsvilla और mirraw शॉपिंग साइट्स आपको दिखा रही हैं आपकी पसंद के कपड़े। विकल्प प्रस्तुत किए गए हैं आप चुन सकते हैं अपनी पसंद।



क्या महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ पुरूष सशक्तिकरण को भी महत्व दिया जाना चाहिए?



हां, यदि पुरूष कमजोर, आर्थिक रूप से गरीब है, तो उस पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। आइए, जानें क्या है महिला सशक्तिकरण!

महिला सशक्तिकरण


महिला सशक्तिकरण का संबंध मूल रूप से स्त्री जाति – महिला समाज को पुरूष वर्ग व स्थिति की बराबरी के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और कानूनी अधिकार देने के साथ-साथ उन्हें विषम परिस्थितियों से सामान्य स्तर पर लाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर मानव समाज में स्त्रियों को घर से बाहर आने पर अपना मुंह ढक्कर रखने और सिर्फ घर के कामकाज में ही लगे रहने जैसे पहले से निर्धारित नियमों से संबंधित बाधा हटाकर समाज के हर परिवार में उनके प्रति निर्धारित पारंपरिक भेदभावपूर्ण रवैया कायम रखने से संबंधित दृष्टिकोण बनाए रखना दूर करते हुए उन्हें अधिक से अधिक आदर और सम्मान देने के लिए मानव समाज में प्रचलित कुरीतियों के विरूद्ध चलाए जाने वाले आंदोलनों के विभिन्न चरणों में नए या पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अंतर्गत किए जाने वाले किसी भी प्रयास में आने वाले व्यवधान को दूर करते हुए हर संभव प्रयास से अधिक से अधिक जागरूक करने, मान-मर्यादा बनाए रखने की चेष्ठा के साथ घर व समाज में उनकी स्थिति उन्नत कर व्यवसाय के हर क्षेत्र में पुरूष पेशेवरों के साथ बराबरी के कार्य निष्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए जीवन के हर मोड़ में आवश्यक मदद पहुंचाना सुनिश्चित करने के बारे में संपूर्ण समाज के लोगों के द्वारा अपने हाथ सदैव आगे बढ़ाने के लिए तत्पर रहने से है, ताकि स्त्रियां समाज में स्वयं को असहाय महसूस न करें, और उनकी शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक स्थिति को किसी भी परिस्थिति में कोई आघात न पहुंचे और उन्हें मानव समाज में समानता व एकता का अधिकार होने के साथ-साथ लोगों के द्वारा महिला सशक्तिकरण जैसे, भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्यों द्वारा अपनी टी-शर्ट पर अपनी-अपनी मां का नाम लिखवाकर महिला सशक्तिकरण और उनके सम्मान को बढ़ावा देने के अच्छे प्रयास के लिए समाज में महिला सशक्तिकरण के संबंध में जागरूकता बढ़ाने के उत्साह में निरंतर रूप से वृद्धि होने की सुस्पष्ट जानकारी मिलना सुनिश्चित हो और इस तरह से वे स्वयं को समाज में सुरक्षित पाएंगी और खुशी-खुशी अपने रोजमर्रा के कर्तव्यों का निर्वाहन करते हुए अपने परिवार का उचित रूप से पालन-पोषण कर समाज व देश के निर्माण में अपना योगदान देने में कभी भी असहज महसूस नहीं करेंगी और अन्याय व भेदभाव के विरूद्ध कदम उठाने में बिल्कुल भी संकोच नहीं करना जारी रखकर अपनी वर्तमान व भावी पीढ़ी का उचित मार्गदर्शन कर स्वयं को समाज में एक आदर्श महिला का उदाहरण प्रस्तुत करेंगी और इसका नतीजा एक बेहतर समाज, देश और राष्ट्र होगा, जो व्यापक रूप में दुनियां के लिए एक सुरक्षित व सुखी समाज का प्रतीक होगा।



आधुनिक समय की एक-दो बच्चों वाली मां स्मार्ट है या पहले की वह मां स्मार्ट थी, जो कम से कम चार-पांच बच्चों का पालन-पोषण करती थी!


आज समय बदल चुका है, तो महिलाएं भी बदल चुकी हैं। आज की मां न तो एक-दो से अधिक बच्चों की ख्वाहिश रखती है, न ही बच्चों के लिए अधिक टेंशन लेना चाहती है। आज अधिकांश औरतें सर्विस करना पसंद करती हैं। शिक्षित महिलाओं को सर्विस पर जाना भी जरूरी हो गया है, क्योंकि आधुनिक दौर के लाइफस्टाइल ने उन्हें ऐसे प्रेरित कर दिया है कि उनका घर में बैठना बिल्कुल मुश्किल है। जबकि बीते समय की अधिकांश महिलाएं ज्याद पढ़ी-लिखी नहीं थी और उनका ध्यान अपने परिवार पर ही केंद्रित था, तो वे आसानी से परिवार के कार्यों के साथ-साथ अपने बच्चों का पालन-पोषण आसानी से कर पाती थी। आज की महिलाएं आधुनिक तौर-तरीकों से जीना पसंद करती हैं, उन्हें स्वयं के बच्चे सम्भालने के लिए सर्वेंटेस की मदद लेनी होती है और उनके बच्चों का अधिकांश समय सर्वेंट्स के साथ बीतने की वजह से पैरेंट्स और बच्चों के बीच रिश्तों में दूरी बनने से उनमें उचित संस्कार, व्यवहार, नियम और अनुशासन की कमी होती है, और बच्चे स्वयं को अपने जीवन के विभिन्न चरणों में जीने के तौर-तरीकों के अनुकूल नहीं ढाल पाते हैं और सुसाइड, घर से भागने जैसे खौफनाक कदम उठाने से बिल्कुल भी नहीं घबराते हैं, जबकि पहले के समय की महिलाओं में इस तरह के गुण नहीं के बराबर होते हैं, क्योंकि वो हमेशा अपने पैरेंट्स के संपर्क में रहे होते हैं, और एक मां अपने बच्चों को कभी कुछ भी गलत नहीं करने की चेतावनी और परिणामों से अवगत कराती रहती थी। ऐसा आज के बच्चों में इसलिए देखने को नहीं मिलता है कि उन्हें उचित जानकारी है ही नहीं, कैसे जीना है, क्या करना है और क्या नहीं, क्योंकिं वे अलग-अलग व्यवहार के भिन्न-भिन्न व्यक्तियों की देखरेख में पले बढ़े होते हैं। इसलिए आज के आधुनिक युग के व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं से अपील है, कि वे अपने बच्चों को अपने स्वयं के संरक्षण में रखकर उचित संस्कार दें, उन्हें अनुशासन में रखकर नियंत्रित करें। इससे आपके बच्चे अपने जीवन में आगे आपके संरक्षण का मूल्य समझ पाएंगे। महसूस करें, कितने भी बेशकीमती आभूषण आप पहनते हों, आपको इसमें उतनी खुशी नहीं मिलेगी, जितनी खुशी आपको वास्तविक जीवन में तब मिलती है, जब आपके बच्चे आपके गले में झूल रहे हों।



प्राकृतिक रूप से स्त्री व पुरूष के शरीर में समय के साथ श्रृंगार के सभी गुण व विशेषताएं स्थापित हो जाती हैं, इनका रखरखाव करने के साथ-साथ जीवन में आगे बढ़ने के लिए इंसान को भरसक प्रयास करने होते हैं। किसी को कुछ अधिक तो किसी को कम, लेकिन एक सीमा के अंतर्गत। कमी या अधिकता कहीं भी, किसी भी चीज की अच्छी नहीं होती है। इसके लिए मूलभूत जानकारी लेना अनिवार्य हो जाता है एक इंसान को। पुरूष वर्ग के प्रत्येक सदस्य को जहां हष्ट-पुष्ट बनना होता है वहीं स्त्रियों को अपनी सुंदरता लंबे समय तक बनाए रखनी होती है। एक वयस्क इंसान के शरीर में मुख्य रूप से दो हाथ, दो पांव, पांच-पांच अंगुलियों सहित, एक मुंह, जिसमें दो कान, एक नाक, 32 दांत व सिर में असंख्य बाल होते हैं। क्या इंसान अपने जीवन-भर इनकी देखभाल ठीक से कर पाता है। त्वचा का रंग कैसा भी हो - गोरा, काला या सांवला, यह अनेक प्रकार से अपनी मनपसंद का बनाया जा सकता है। परंतु शारीरिक संरचना महत्वपूर्ण है, जिसे सिर्फ व्यायाम से ही अनुकूल बनाया जा सकता है।



महिला या पुरूष के चेहरे का कौन सा अंग/ पार्ट है, जिससे उसका चेहरा खूबसूरत दिखता है?

1. आंखें 2. नाक 3. गाल 4. लिप्स 5. कान 6. सिर के बाल



गहरी आंखें, लंबी नाक, मध्यम आकार के कान और रस भरे मोटे-मोटे होंठ


कैसे करें घर में मनोरंजन

बच्चों की स्मार्ट गतिविधियां घर में टीवी देखना आपके व आपके बच्चों के स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त मनोरंजन नहीं हैं। आप स्वयं ऐसी कहानियां बना सकते हैं, जिससे आपके बच्चों के साथ-साथ घर के अन्य सदस्य भी हंस पड़ें। सच जानें, तो इस तरह हंसना, खुश होना ही एक खुशहाल जिंदगी के लक्षण हैं, भले ही जिंदगी कैसी हो, लेकिन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए घर में ही गीत-संगीत, कहानियां पढ़ना, सुनाना बच्चों के मानसिक विकास की राह में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाते हैं। इससे बच्चों में अभिव्यक्ति की भावना जागृत होती है। यथाशीघ्र शुरू करें एक ऐसी गतिविधि, जिसमें आपकी और आपके बच्चे की सक्रिय भूमिका हो। इस क्रम में आप अनताक्षरी, वर्ड गेम, सेल्फी लेना, बच्चों को कविता पाठ करने, गाने सुनाना, डांस करने, चित्रकारी करना निर्धारित कर सकते हैं। यह बच्चों में अच्छी आदतें डालने व शिक्षा देने का एक प्रमुख तरीका है।

नेचुरल हर्बल जूस व खाद्य पदार्थों से करें मेहमानों का स्वागत

इंसानियत के नाते आपकी सोच सकारात्मक होनी चाहिए, जिसमें बगैर संबंधों के जीवन का आयाम दीर्घकालिक बनाने के लिए हम सभी को स्वस्थ रहना होगा और समाज की तरक्की होगी। इस तरह हमें जड़ी-बूटियों व अन्य प्रकार के हर्बल्स आपस में साझा करने, उनके बारे में अधिकाधिक जानकारी लेने में मदद मिलेगी।
नेचुरल हर्बल प्लांट उगाएं अपने हैंगिंग गार्डन में!

आप अपने गार्डनिंग का शौक पूरा करने के साथ-साथ स्वास्थ्यवर्धक नेचुरल पौधे उगाकर अपने व परिवार के अन्य सदस्यों के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं। “काम एक और लाभ अनेक” कथन को साकार बनाएं। जिससे घर आने वाले मेहमान भी यह कहते-कहते थक जाएं कि वाह! आयडिया किसका था।
आप सिंगल हैं और डेट पर जाने के बारे में कंफ्यूजन है!

नो टेंशन। मन बना लें कि आप उसके साथ पहले भी डेट पर जा चुके हैं और बिल्कुल भी नर्वस न होएं। अपनी वास्तविक व सामान्य बातों पर ही चर्चा करें। दूसरे की बातों पर भी गौर करें और असलियत को पहचानने की कोशिस करें। फालतू की बातों में समय नष्ट न करें। इस डेट को बिल्कुल सीमित करें और अपने रोजमर्रा के आवश्यक कार्यों का ही विवरण दें। अपने पसंद व नापसंद को अस्थायी व समयानुकूल होने की पुष्टि करें। भविष्य के संबंधों के बारे में डेट की अहम भूमिका होती है। बिल्कुल भी झूठी बातें न करें। अपनी वास्तविक लाइफस्टायल से प्रभावित करने का प्रयास करें। आपको आगे लक्ष्य पूरे होते दिखेंगे।

बहू भी जाना चाहती है कॉलेज – शादी होने के बाद भी शिक्षा ग्रहण की जा सकती है!

प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अच्छे काम करने में किसी की राह न रोकें, चाहे बहू हो या बेटी। यह जरूरी नहीं है कि किसी की बेटी आपके घर में बहू बनकर आयी है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह दिन-रात घर में ही रहकर सास-ससुर व अन्य की सेवा में लगी रहेगी। बिल्कुल नहीं, अपनी बेटी की तरह उसे भी जीने का हक दें। उसकी इच्छा के अनुसार अपनी शिक्षा लेने का हक दें। प्रतिस्पर्धा के इस युग में बहू को भी अपनी उन सहेलियों की बराबरी करनी है, जो अभी भी अविवाहित हैं। भले ही आगे जाकर बहू कोई सर्विस कर या न करे, उसे अपने बच्चों की परवरिश में मदद मिलेगी और समाज में अपने परिवार की स्थिति का मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी। बहू को महत्व न देने से हो सकता है परिवार का विघटन, इसलिए सावधानी बरतें और अपनी बहू को अपनी बेटी में अंतर न करें।

शादी के लिए लड़का देखने आ रहा है, तो इन बातों का रखें ध्यान:

पैरेंट्स ने लड़का देखा है और वह जल्दी ही लड़की देखने के लिए आने वाला है, तो खुश हो जाएं पर मन ही मन में, अभी ये खुशी बाहर न आने दें। बिल्कुल सामान्य स्थिति में आ जाएं, कोई जल्दबाजी नहीं। आपकी पसंद के अनुसार उस लड़के में क्या गुण होने चाहिए और क्या नहीं, एक लिस्ट बना लें। अधिक चुनाव न करें, अच्छाईयां व बुराईयां सभी में होती हैं। आप स्वयं मर्यादा में रहकर अपने चाल-चलन, बोलचाल की समीक्षा करें। अपने अलग-अलग फ़ोटो देखें, और मान लें कि आप अपनी नहीं बल्कि किसी अन्य की फ़ोटो देख रहे हैं। पता करें कहीं कुछ अलग सा नहीं लग रहा है। अपने अंग-अंग पर गौर करें। कुछ अलग सा लगने पर उसे सामान्य करने की कोशिस करें। किस पोशाक में आप अधिक अच्छी लगती हैं, आप अपनी बॉडी लैंग्वेज पर नियंत्रण रख सकती हैं किस प्रकार से उसके सामने पेश आना है और कितना अधिक व कम वार्तालाप करना है। विश्वास रखें अपने पर। अपनी इंट्री ऐसे मारें कि वह सोचने को मजबूर हो जाए और मन ही मन कहें वाह! मैं तो इसी टाइप की ही ढूंढ रहा था! आप अधिक सवाल न करें, पर उसके व्यवहार पर गौर करें कुछ आवश्यक बातें करना न भूलें: जैसे: पसंद व नापसंद, नौकरी-पेशा, समाज के प्रति रवैया व मूलभूत कार्यों की जानकारी आदि।

पैसे, संपत्ति व अन्य की बातें न करें तो अच्छा है, क्योंकि ये चीजें तो इंसान के पास आती-जाती रहती हैं। अधिक मेकअप न करें। अपना असली रूप दिखाएं। एक सीमा तक ही मेकअप करें। अधिक मेकअप के परिणाम अक्सर बुरे परिणाम आए हैं। आप विश्वास कायम रखेंगी, तो आपको उसकी ओर से हां ही होगी, उसके बाद गेंद आपके पाले में जाती है यानि कि वह निर्णय आप पर छोड़ देता है।
नहाने से पहले कोहनी, एड़ी व घुटनों में कच्ची हल्दी का लेप लगाएं!

सावधान! अच्छी तरह से नहाकर ही पूरा शरीर साफ़ होता है, इसलिए इसे अनदेखा न करें, खाली पानी से तन को भिगाना पर्याप्त नहीं है। हर इंसान के मन में ख्याल आता है कि कैसे कैरें शरीर के उस भाग की सफाई जहां आपके हाथ नहीं पहुंच पाते हैं, जैसे आपकी पीठ, अक्सर अधिकांश लोग इस भाग को सिर्फ तौलिए से रगड़कर साफ़ करते हैं, जो पर्याप्त सफाई नहीं है। आपको सलाह दी जाती है कि अपनी पीठ साफ करने में आप किसी दूसरे की मदद ले सकते हैं, जिससे पीठ पर आसानी से साबुन व पदार्थ लगाकर आपकी पीठ की अच्छी तरह साफ करने में आपको मदद मिल सकती है।
इसके अलावा निम्न अंगों की अच्छी तरह से सफाई करें:
कोहनी: कहीं आपके शरीर की कोठनी काली, मैली सी तो नहीं दिखती है। गौर करें, इस पर मैल जमा होता है। इसलिए, नहाते समय इस पर ध्यान दें। कोहनियों में कच्ची हल्दी का लेप लगाने से उन्हें काला होने से बचा जा सकता है।
एड़ी: ये कभी न सोचें कि जूते, सैंडल से एड़ी ढक जाएगी। ये हो सकता है तकलीफदेह आपके लिए, क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य के लिए आपका हर अंग बिल्कुल साफ होना चाहिए, रंग कोई भी गोरा या काला। बिल्कुल भी मैला या कोई अवांछित परत शरीर के किसी भी अंग में मौजूद नहीं होनी चाहिए।
गर्दन: अक्सर देखने में आता है कि लोग नहा-धोकर, नए कपड़े पहने होते हैं, पर गर्दन में मैल की परत साफ झलकती है। इसलिए नहाने में जल्दबाजी न करें और बारीकी से हर अंग से मैल की परत निकालकर शरीर धो डालें।
कान: शरीर के एक महत्वपूर्ण अंग होने के नाते आपको नहाते समय कान को साफ़ करना बहुत आवश्यक है। कान में बहुत ज्यादा धूल और गंदगी इकठ्ठा हो जाती है। धूल, मिट्टी के कारण कान के अंदर जमाकर होकर एक ठोस पदार्थ का रूप लेते हैं। इसलिए धूल, मिट्टी की कोई भी परत काम में जमने न दें और विशेष रूप से इनकी सफाई करें।
घुटने: कोहनी, एड़ी की तरह घुटनों का रंग भी कुछ काला होता है। इस हिस्से में भी पसीने और धूल के कारण गंदगी इकठ्ठा होने की वजह से ऐसा होता है। इसलिए नहाते समय इस हिस्से को अच्छी तरह साफ करें। कच्ची हल्दी का लेप लगाने का प्रयास करें। फायदा होगा।
जननांग: अधिकांशतः लोग जल्दबाजी में इन अंगों पर गौर नहीं करते। ऐसा न करें, इन्हें न धोने के घातक परिणाम हो सकते हैं। इसलिए, कोई जल्दी न करें। अच्छी तरह से साबुन लगाएं और साफ करें।


महामारी से बचाव, नेचुरल हर्बल का करें सेवन

एड्स कोई बीमारी नहीं, वह घातक स्थिति है, जिसमें मनुष्य अपनी प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। यह जीवाणु और विषाणु आदि के संक्रमण से उपजने वाली स्थिति है। इसके प्रभाव से मनुष्य में अनके प्रकार की बीमारियां जन्म लेती हैं। इंसान को डरने की कोई बात नहीं है, यदि कोई इस बीमारी से पीड़ित है, तो वह इस पर नियंत्रण कर अपनी उम्र बढ़ा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस पर विभिन्न देशों में शोध जारी करा रहा है और संभावना है कि 2030 तक इसके पूर्ण उपचार की दवा आम व्यक्ति के लिए भी उपलब्ध हो जाएगी। अगर विभिन्न प्राकृतिक हर्बल्स का दैनिक रूप से सेवन किया जाए, तो इस बीमारी को प्रभाव को एक सीमा तक कम किया जा सकता है। 1. करेले का जूस पीना जारी रखें 2. शलजम, चुकंदर का जूस पीएं 3. नींबू का सेवन करें 4. नियमित रूप से व्यायाम करें
अंतरंग से सफेद पानी आने की समस्या केवल एक घरेलू महिला को नहीं, यह संपूर्ण नारी-जाति की समस्या है, भले ही वह कोई राजकुमारी हो या सेलिब्रेटी!

क्या आप भी परेशान हैं सफेद पानी आने की बीमारी से

इसे विज्ञान की भाषा में श्वेत प्रदर या लिकोरिया कहा जाता है। यह किसी एक जाति विशेष की महिलाओं को नहीं बल्कि पूरी दुनियां भर की महिलाओ में होने वाली सामान्य बीमारी है। हालांकि, इसे रोग कहना ठीक नहीं, परंतु समय पर उपचार न करने पर इससे भयानक रोग या संक्रमण होने की संभावनाएं होती हैं। अक्सर महिलाएं इस पर गौर नहीं करती हैं और शरीर के आंतरिक अंग से संबंधित होने के कारण अधिकांश लेडीज इसके बारे में खुलकर नहीं बताती हैं, जो आगे जाकर कष्टदायी हो जाता है। यह ग्रीवा से उत्पन्न होने वाला श्लेष्मा है, जो सफेद पानी के रूप में अंतरग से बाहर निकलता है। ध्यान रखें, यह अधिक या नियमति रूप से तो नहीं आ रहा है। महिलाओं में मासिक चक्र से पहले या बाद में कुछ दिन ऐसा होना आम बात है, लेकिन अधिक मात्रा में आना और यह गाढ़ा होना व नियमित रूप से आना स्त्री के लिए जानलेवा हो सकता है। सामान्य रूप से इसका रंग सफेद होता है, परंतु यह अधिक गाढ़ा व इसका रंग हरा या पीला होने का मतलब है कि यह रोग का रूप ले रहा है
सफेद पानी आने / लिकोरिया होने के लक्षण

बिना किसी कठिन परिश्रम के यदि आपकी कमर में सामान्य की अपेक्षा अधिक दर्द हो रहा है
चक्कर आ रहा है
अंतरग पर खुजली होती है और इससे बदबू आ रही है
शरीर में लगातार कमजोरी हो रही है
तो समझ जाएं कि यह एक बीमारी का संकेत है
सफेद पानी आने के कारण

पेट में किसी प्रकार का संक्रमण होने से
एकाधिक बार गर्भपात के कारण
किसी रोगग्रस्त पुरुष के साथ संबंध बनाने से
मन में उत्तेजना लाने व सैक्स संबंधी अधिक बातें करने से
यदि आप अपने अंतरग की नियमित रूप से सफाई नहीं करते हैं, तो इस दशा में यह रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
सफेद पानी आना या लिकोरिया से बचाव संभव है

अंतरग को बोरिक एसिड या फिटकरी मिलाकर पानी से धोएं, ताकि रोगाणु मर जाएं
गर्भपात करने से बचें
सहवास करते समय कंडोम प्रयोग करें
मूत्र और सहवास के बाद अंतरंग को साफ करके धोएं
कैसे करें इसका उपचार
अपने किचन में उपयोग की जाने वाली मेथी के दाने पानी में 7-8 घंटे तक भिगोएं, उसके बाद उसके पानी को छानकर पीएं। नियमित रूप से इस पानी का सेवन करने से समस्या से छुटकारा मिलेगा
चावल का मांड पीएं
धनिया और भिंडी का अधिक से अधिक सेवन करें
अदरक छिलकर काटें, पानी में देर तक उबालें, बचा हुआ पानी पीएं
अब महिलाएं जन्म दे सकती हैं अपनी पसंद के बच्चे!
आ गया है ‘ऑर्डर ए डैडी’ ऐप, जिससे महिलाएं अपनी पसंद के व्यक्ति के शुक्राण के लिए ऑनलाइन ऑर्डर कर सकती हैं। इस ऐप को भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ कमल आहूजा ने लंदन में डेवलप किया है। अब महिलाएं अपनी पसंद के बाल, ऊंचाई और आंखें या त्वचा का रंग जैसी शारीरिक विशेषताओं वाले शुक्राणु दाता व्यक्ति का चयन कर अपनी पसंद के बच्चे होने का सौभाग्य पा सकती हैं। विशेष बात यह है कि महिलाएं किसी विशिष्ट क्षेत्र जैसे चिकित्सा, इंजीनियरिंग, स्पोर्ट्स या पॉलिटिक्स में अव्वल दर्जे के व्यक्ति के शुक्राण लेने के लिए भी ऑनलाइन ऑर्डर कर सकती हैं, बशर्ते कि वह व्यक्ति शुक्राणु दाता सूची में हो।

जिस तरह घर के आंगन में खिला फूल घर की शोभा बढ़ाता है, ठीक उसी तरह से परिवार में बच्चा आने से मां की गोद भरने से घर-परिवार में खुशी आती है!
घर-परिवार में खुशी की बात होती है, तो भला मातृत्व सुख को कोई कैसे भूल सकता है, जो स्त्री व पुरूष दोनों के सुखद मिलन से मिल सकती है। आज के दौर में देर से विवाह व आधुनिक शैली के चलते कामकाजी होने के कारण मातृत्व सुख से संपूर्ण परिवार को मिलने वाली खुशी कम ही परिवारों में देखने को मिलती है, जिसकी वजह से परिवार में सुख-शांति का माहौल नहीं बन पाता है। इसका समाधान आज आधुनिक तकनीक से सुसज्जित अस्पतालों में कुशल चिकित्सकों के माध्यम से कराया जा रहा है। अच्छा है कम से कम किसी परिवार को खुशी पाने के अवसर मिल रहे हैं। आज मॉडर्न युग के दंपत्तियों को टेस्ट ट्यूब बेरी (आई.बी.एफ.), आई.यू.आई., आई.सी.सी.एस.आई. जैसी आधुनिक तकनीकों से बच्चों को जन्म देकर घरों में खुशियां लायी जा रही हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको किसी दूसरे व्यक्ति के शुक्राण लेकर ही बच्चे करने हैं, कम शुक्राण वाले पुरूष टेस्टीकुलर बायोप्सी और इक्सी तकनीक के माध्यम से अपने शुक्राणओं से अपने आनुवंशिक बच्चे पैदा कर अपनी जीवनसंगिनी की गोद में खुशियां ला सकते हैं, जिससे बच्चे के दादा-दादी कहें, कैसे भी किया, आखिर हमारा वंश है।
स्वच्छ, ताजा हवा व पानी के स्थानों से मिलता है अच्छा स्वास्थ्य व मनोरंजन
स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ, ताजा हवा व पानी आवश्यक हैं, जो हिमालयी क्षेत्र, हिल एरिया में मौजूद है, अन्य कहीं नहीं। प्राकृतिक रूप में उपलब्ध स्वच्छ, ताजा हवा व पानी तो शहरों में मिलना असंभव ही नहीं, नामुमकिन है। अपने व्यस्त जीवन में लोग तरह-तरह के नेचुरल हर्बल निर्मित पदार्थों का सेवन कर अपने स्वास्थ्य संतुलन बनाने के लिए करते हैं। इसी क्रम में यदि लोग अपने जीवन के कुछ दिन हिमालयी क्षेत्र, हिल एरिया जाकर प्राकृतिक स्वच्छ हवा व पानी का सेवन करें, जिससे वे अपने जीवन की अवधि में वृद्धि और जीवन को रोगमुक्त कर सकते हैं, और साथ में उन्हें एक तरफ मिलती है मन की शांति तो दूसरी ओर प्राकृतिक सौंदर्य से होता है उनका मनोरंजन। हरी-भरी वादियां, ऊंचे-नीचे पहाड़, प्राकृतिक रूप से बनी सीढ़ियों मनोरंजन के साथ-साथ दैनिक व्यायाम भी करा देते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य व ऐडवेंचर स्पोर्ट्स से होता है मन का व्यायाम
हमारी आंखें कोई चीज देखती हैं, तो इसकी पहचान हमारे मन के द्वारा की जाती है, मतलब आंखों और मन का सीधा संबंध है हमारे शरीर में। यदि हम अपने रोजमर्रा के जीवन से अलग किसी हिमालयी क्षेत्रों या हिल क्षेत्र में जाते हैं, तो हमें ऊंचे-ऊंचे पहाड़, नदियां, टेढ़े-मेढ़े रास्ते, सीढ़ीनुमा खेत, जंगल व आसपास भिन्न-भिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, फल-फ़ूल, पशु-पक्षी व बहुत सी चीजें दिखती हैं, जिससे हमारे मन में अलग-अलग प्रकार का स्वाद आता है और प्रत्येक व्यक्ति के मन की सामर्थ्य के अनुसार उसके मन में विभिन्न चीजों की जानकारी एकत्र होती है और वह व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार उस प्रत्येक चीज के बारे में भिन्न-भिन्न समय व स्थिति के अनुसार विचार करता है, इसे विज्ञान की भाषा में मन का व्यायाम कहा जाता है।
आइए, स्वास्थ्य रक्षा की जानकारी लें
शरीर को स्वस्थ और आकर्षक (प्राकृतिक हर्बल, जैसे आंवला, तुलसी, करेला व हल्दी का सेवन कर) बनाने के लिए अच्छे खान-पान (प्राकृतिक रूप से तैयार अन्न, साक-सब्जी खाकर) के साथ-साथ उचित मेकअप (नेचुरल कच्ची हल्दी का क्रीम लगाकर) भी जरूरी है। मेकअप में तब चार-चांद लग जाते हैं, जब शरीर की संरचना सुडौल हो। सुडौल शरीर किसी के पास जन्मजात होता है, तो कोई उचित प्रकार के व्यायाम से शरीर को सुडौल रूप दे सकते हैं।

क्या आपका बच्चा भी करता है खानपान में आनाकानी मतलब पसंद से खाना नहीं खाता है।

बच्चे की परवरिश के दौरान मां द्वारा बच्चों में स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक चीजें खाने-पीने की आदत डालना एक बड़ी शिक्षा देना है

बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए स्वास्थ्यवर्धक खानपान अनिवार्य है। स्वास्थ्यवर्धक चीजें खाने से बच्चे ऊर्जावान बने रहते हैं तथा बच्चों का दिमाग भी तेज होता है। बच्चों में स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक चीजें खाने-पीने की आदत परिवार के सदस्य ही डाल सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि अच्छे पोषक तत्व मोटापा, कमजोर हड्डियां आदि से बचने में सहायता करते हैं। बच्चों को विशेष खाद्य प्रदार्थ-पेय के लाभदायक और हानिकारक गुणों की जानकारी देना भी आवश्यक है।

बच्चों के लिए आवश्यक पोषक तत्व- बच्चों के संपूर्ण शारीरिक विकास के लिए हमें ऐसी डाइट देनी चाहिए, जिससे बच्चों को भरपूर पोषण मिल सके। इस डाइट के कुछ विशेष पोषक तत्व: व्होल ग्रेन – इसके अंतर्गत बच्चों को व्हीट पेन केक, मल्टीग्रेन टोस्ट, व्हीट ब्रेड का सैंडविच, ब्राउन राइस आदि दिए जा सकते हैं। अन्य व्होल ग्रेन भी बच्चों को स्वादिष्ट रूप में दिए जा सकते हैं। अनाज का दलिया, अनाज का आटा, मक्का और गेहूं की रोटियां आदि जा सकती हैं।

बच्चों को आहार के रूप में प्रोटीन

कम से कम दिन में दो बार बच्चों को प्रोटीन की मात्रा वाले खाद्य पदार्थ खिलाएं। बच्चों को प्रोटीन आहार के रूप में लेने के लिए प्रोत्साहित करें जैसे:

1. अंडे

2. मछली

3. चिकन

4. बेक्ड बीन और दालें

बच्चों के लिए विटामिन और खनिज

सावधान! बिना चिकित्सक को दिखाए विटामिन और खनिज की आपूर्ति के लिए कोई भी दवा या पदार्थ का सेवन न कराएं। अनुभवी चिकित्सक से सलाह लें। बच्चे के वजन और आयु के अनुसार ही विटामिन व प्रोटीन गुण वाले पदार्थ उपलब्ध कराएं।

आयरन

खून बनने के लिए आयरन एक महत्वपूर्ण खनिज है। हरी पत्तेदार सब्जी, आयरन के अच्छे स्रोत हैं। रोजाना बच्चों के भोजन में कुछ मात्रा में हरी सब्जियां होनी चाहिए। फल और सब्जियां

फल और सब्जियों को स्नैक्स के रूप में दें और सब्जियों का सूप बनाकर भी उन्हें दैनिक रूप से पीने की आदत डालें। फल और सब्जियों में विटामिन और खनिज की मात्रा ज्यादा होती है। विटामिन और खनिज का महत्व इसलिए है कि ये स्वस्थ त्वचा, अच्ची ग्रोथ, विकास और संक्रमण से लड़ने के लिए आवश्यक हैं। सब्जियों में फाइबर भरपूर मात्रा में होती है जिसमें विटामिन ए, सी और सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे मैग्नीशियम और पोटेशियम पाया जाता है। सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट भी पाया जाता है जो बच्चों के शरीर को बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है। विटामिन बी के स्रोत साबुत अनाज, मांस और दूध एवं अन्य डेयरी प्रोडेक्ट्स हैं।


विश्वभर के सभी देशों के बच्चे, वयस्क व वरिष्ठ नागरिक वर्तमान समय में हो रहे संक्रामक रोगों के सामने


घर-घर की कहानी!



क्या आपके घरों में भी अक्सर यही बातें सुनने को मिलती हैं:

चलो बच्चो अब खेलना बंद करो, किताब खोलो और पढो, मैडम चाय बनाओ, पानी भर दिया, बिजली गुल है, गैस का रेग्यूलेटर बंद कर दिया, खाना बन गया, चलो खालें, उनके बच्चे इंजीनियरिंग, मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, तुम किसी काम के नहीं हो....

आपके घर में कितनी खुशी है, निर्भर करता है आपके दैनिक कार्यों पर।



आपकी दैनिक गतिविधियां हैं: समय पर जागना, स्वस्थ खानपान। घर की खुशी पैसे से नहीं खरीदी जा सकती है, इसलिए इस बात पर बिल्कुल ध्यान न दें कि आपकी इनकम कम है, तो आपके घर में खुशी नहीं होगी। आपकी लाइफस्टाइल से आपके घर का भविष्य निर्भर है, इसलिए पैसे पर कम अपने उपयुक्त कार्यों पर ध्यान दें और परिवार के अन्य सदस्यों को उनके लिए उपयुक्त हर गतिविधि में शामिल होने दें और सकारात्मक परिणामों से अपने पड़ोसियों को भी अवगत कराएं, इससे आप समाज में अपना बहुमूल्य योगदान करते हैं।

इंसान की जीवन पृथ्वी पर एक सीमित समय के लिए है, जिसमें उसे उम्र के आखिरी पढ़ाव में परिवार की जरूरत पड़ती है। आपके बच्चों में अच्छे संस्कार नहीं हैं, तो शायद आपकी कहानी भी ऐसी हो सकती है। इसलिए अपने जीवन की लाइफस्टाइल ऐसी बनाओ, जिसे आपके वंशज कभी न भूलें और आपको याद करते रहें। हम सभी के लिए एक संक्षिप्त उदाहरण यहां पर दिया गया है: शर्मा जी ने अपने जीवन में अपने बच्चों के लिए कितनी मेहनत की, ये बात किसी से छुपी नहीं थी। अपने जीवन में उन्होंने कितनी ठोकरें खायी अपने बच्चों को बेहतर सुविधाएं मुहैय्या कराने में। परिणामस्वरूप बच्चे अच्छे पढ़ गए और विदेश में अच्छी नौकरी के लायक हो गए और उन्हें मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी भी मिल गई। समय बीतता गया और उनके बच्चे विदेश में ही बस गए और वहीं शादी कर ली। समय बीतता गया और शर्मा जी आशा में थे कि बच्चे आएंगे और उन्हें भी अपने साथ ले जाएंगे। पर ये क्या हुआ कि बच्चों का वापस आना तो दूर कभी कोई संपर्क भी नहीं करना चाहा। शर्मा जी की जो स्थिति पहले थी, उससे बदतर हो गई। अब बुढ़ापा आ गया था पर बच्चों को बिल्कुल भी चिंता नहीं कि कैसे होंगे हमारे पैरेंट्स।

सीताफल, फल एक लाभ अनेक



आज के एडवांस समय में गांव हो या शहर, सभी अपने सेहत व लुक पर ध्यान देने लगे हैं और अपनी सामर्थ्य के अनुसार स्वयं को अपडेट कर रहे हैं। तो क्यों न बात की जाए हमारे सिर के बालों की, जो घने व काले होना किसे पसंद नहीं है! तरह-तरह की नई-नई तकनीक उपयोग कर आज एक नहीं कई हेल्थकेयर सेंटर, जैसे बत्रा क्लिनिक और अन्य मनुष्य के गिर रहे बाल फिर से उगाने, उन्हें संपोषण प्रदान करने की नई-नई तकनीक अपना रहे हैं, जिसका लाभ हर प्रभावित व्यक्ति ले रहा है। इसी संदर्भ में हम बात करें आयुर्वेद और इसमें आने वाली जड़ी-बूटियों व अन्य प्रकार के प्लांट, पेड़ आदि जिनकी पत्तियां, फल व अन्य सामग्री उपयोग करने से भी बालों को प्राकृतिक तरीके से सुरक्षित किया जा सकता है। वर्तमान समय में बाल सफेद होने, झड़ने या गंजेपन से अधिकांश लोग पीड़ित हैं। इसका एक सरल व सामान्य उपाय है – अधिक से अधिक सीताफल खाना।

इस फल के सेवन से हमारे शरीर में अनेक लाभ होते हैं:



सीताफल के पत्तों को पीस कर फोड़ों पर लगाने से वो ठीक हो जाते हैं।



कैसे उगाएं सिर के उड़े हुए बाल या किस तरह सिर के झड़ रहे बालों को फिर से उगाया जा सकता है...

सीताफल के बीजों को पीसें और बकरी के दूध में मिश्रित करें, उसके बाद जो लेई बनती है, उसे अपनी बालों में लगाएं और कुछ समय तक लगे रहने दें। २०-३० मिनट के बाद बाल धो लें, यकीनन बहुत जल्द ही आपके सिर से बाल झड़ने की बीमारी दूर होगी और बाल काले और मजबूत होंगे। एक और महत्वपूर्ण बात जानें, सीताफल खाने से घबराहट दूर होती है और हार्टबीट संतुलन के अनुसार कार्य करती है। अगर आपका हृदय कमजोर है या आप उच्च रक्तचाप के रोगी हैं, तो इसका सेवन बहुत ही लाभदायक है। कच्चा सीताफल खाएं और अतिसार व पेचिश की बीमारी से निजात पाएं। कच्चे सीताफल को काटकर सुखाएं और पीसकर रोगी को खिलाएं। इससे डायरिया सही हो जाता है। सीताफल दवा आपके शरीर के लिए लाभदायक ही नहीं यह आपके पार्टनर को भी खुश करने में मदद करता है। इसे खाने से दुर्बलता दूर होकर मैनपावर बढ़ती है।

दंपति और बेड लाइफ..ये काम नहीं है आसान



क्या ले जाता है आपका पार्टनर आपको वह चरम सुख मिलने की स्थिति तक..जहां तक सभी नहीं पहुंच पाते हैं

आइए, जानें और कुछ ऐसा करें कि आपका पार्टनर आपको ले जाए बार-बार उस चरम सीमा तक या उससे पार, जहां आप कहती हैं वन मोर... विशेषज्ञों का मानना है कि जब आपका पार्टनर आपसे कहे वन मोर, इसके दो मायने हैं – वह संतुष्ट है, लेकिन उसे अच्छा लग रहा है, तो उस समय उसके साथ वह क्रिया करनी अतिआवश्यक है, और दूसरी बात यहां पर यह है कि यदि वह स्टॉप कहती है, इसका मतलब यह नहीं है कि वो संतुष्ट है, उसे कुछ परेशानी जैसे दर्द हो रहा है या अच्छा नहीं लग रहा है। दंपत्ति जीवन की इस महत्वपूर्ण क्रिया का आपके जीवन को खुशहाल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका है।

मानव की प्रकृति के अनुसार उसके जीवन में महिला और पुरूष दोनो की जरूरतें भी उनके शरीर की शक्ति/ सामर्थ्य के अनुसार अलग-अलग होती हैं। नेचुरल रूप में दोनों के स्व भाव और जीन भी अलग-अलग होते हैं। स्त्री व पुरूष दोनों के बीच सही तालमेल होने पर ही बेड लाइफ का पूरा आनंद लिया जा सकता है। दोनों को निरोगी होना, शरीर में पर्याप्त ऊर्जा होना, कोई भी शारीरिक व मानसिक तनाव न होने के साथ-साथ अपने जीवन में कुछ नया करने की अभिलाषा होने से ही दंपति जीवन में अन्य दैनिक क्रियाकलापों को सुचारू रूप से करने के लिए बेड लाइफ को नए आयाम तक पहुंचाया जा सकता है, जिससे जीवन में सुख व प्रगति दोनों की अनुभूति होती है।

बेड लाइफ में महत्वपूर्ण भूमिका है फ़ोरप्ले की!

यह कोई नई चीज या तकनीक नहीं है, बस दोनों के बीच सही तालमेल बनाए रखकर एक दूसरे के मन की बात बेहद करीब व गहराई से बाहरी अंगों के साथ-साथ अंतरगों के साथ खेलना ही फोरप्ले है। इससे पता चलता है एक दूसरे का मूड कैसा है। फोरप्ले की कोई नई तकनीक नहीं है, इसे रोज नई तकनीक में बदला जा सकता है – यह पूर्णतया दोनों प्लेयर के बीच समझ पर निर्भर है। स्थान, समय व रूचि के अनुसार इसे नए आयाम तक ले जाया जा सकता है। हां जरूरी है सब कुछ नेचुरल रूप में करें, कोई गलत तरीका बदल ला सकता है दरार इस संबंध में। पार्टनर को समझें और इच्छा के अनुसार ही आगे बढ़ें।

जल्दबाजी न करें



अक्सर स्त्री की अपेक्षा पुरूष जल्दी नियंत्रण खो देते हैं और अपेक्षा से पहले निष्क्रिय हो जाते हैं। इसलिए अपनी महिला मित्र पर ज्यादा ध्यान दें और उसके कमांड को फ़ोलो करें। एक दूसरे को रेस्पेक्ट दें और इस पल को यादगार बनाएं।

फोरप्लेा के कोई नियम या तकनीक नहीं



फोरप्ले की कोई सीमा नहीं है। आप अपने पार्टनर को मनाकर वह काम करते हैं, जो एक बिल्कुल नया हो, पर ध्यान दें वह नेचुरल है। इसका परिणाम होगा कि आप पूरी मस्ती के साथ बेड लाइफ का आनंद लेंगे।

अपने पार्टनर की रूचि जानें, समझें और उसे महत्व दें

अच्छे सेक्स के लिए बेहत जरूरी है कि आप दोनों एक दूसरे की इच्छाओं के अनुसार कार्य कर रहे हैं, बिल्कुल भी विपक्ष में न जाएं, आपका पार्टनर जरूर कुछ नया करेगा...आशा के साथ शुरू हो जाएं।

कैसे होता है मानव का सुखी जीवन



आपस में मन की बात करने से दंपति जीवन खुशहाल होने के साथ-साथ पारिवारिक संबंध मजबूत होते हुए आस-पड़ोस में संबंध प्रगाढ़ होने से गांव, शहर व देश की स्थिति बेहतर होती है। इसलिए सभी दंपतियों को बिना कोई बात छिपाए अपने मन के विचारों पर सकारात्मक रूप में विचार-विमर्श कर एक नई सोच के साथ अपने जीवन के लक्ष्यों का पीछा करते हुए विकास के नए आयाम छूने के प्रयास में प्रगति की नई दिशा में आगे बढते रहना चाहिए।

वर्तमान समय में भारत जैसे देश के आम नागरिकों की आर्थिक स्थिति पर मंत्रियों व प्रभावशाली व्यक्तियों का नियंत्रण



क्यों और कैसे सरकार में शामिल मंत्रियों की संपत्ति महज 1-2 वर्ष में 10-20 गुना बढ़ जाती है और आम आदमी के लिए महंगाई बढ़ने के प्रतिशत में वृद्धि होती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि महंगाई सिर्फ आम आदमी के लिए है, क्योंकि धन-संपन्न लोग आम बाजार में उपलब्ध सामग्री का सेवन नहीं करते हैं। इन प्रभावशाली लोगों के पास इतना धन उपलब्ध है कि ये या तो आयात की गई सामग्री अपने दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं या फिर विशेष रूप से आम आदमी की पहुंच से बाहर उपलब्ध सामग्री का उपभोग करते हैं।

बाहरी तौर पर देखने से लगता है कि भारत अब भी सोने की चिड़िया है। अपार प्राकृतिक संपत्तियों के इस देश में हमारे मान्यवर नेतागणों ने अपना कब्जा जमाया हुआ है और इनसे होने वाली कमाई को विदेशी बैंको भी जमा कर रहे हैं। आम आदमी को एक वास्तविक भारतीय आम नागरिक/ आम आदमी होने के रूप में मिल रही है तो सिर्फ महंगाई और मातम, जिसमें गरीब परिवारों के लोग या तो कठिन परिस्थितियों में मजदूरी करते हुए अपना जीवन खो देते हैं या देश की रक्षा करने में देशभक्ति के रूप में आंतक का शिकार बनते हैं।

वर्षों से देश के ये वरिष्ठ नेतागण इस समस्या का समाधान नहीं निकाल पा रहे हैं, आखिर कब तक आम जनता इस देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देगी, जिस देश में प्रभावशाली व्यक्ति देशकाल की स्थिति को अनदेखा करते हुए देश की सत्ता पाने की होड़ में एक दूसरे पर कीचड़ उछालकर आम जनता को गुमराह कर रहे हैं।


मानव जीवन और सैक्स



आज फैशन के दौर में कुछ नया पहनने, खाने और नई स्टाइल अपनाने का मन सभी को होता है,क्योंकि मानव की प्रकृति है कि जीवन जीने में अधिकतम आनंद मिले। अच्छा स्वास्थ्य व लाइफस्टाइल होने पर सैक्स लाइफ भी कुछ विशेष होना सभी की इच्छा रहती है। इसी क्रम में आपको आज टेक्नोलोजी के दौर में विज्ञान के अदभुत चमत्कारों का परिचय करा रहे हैं, जो आपके निजी जीवन के बहुत महत्वपूर्ण हैं। जैसा कि हम सभी परिचित हैंं कि सैक्स हमारे जीवन की आवश्यक और महत्वपूर्ण गतिविधियोंं मे एक है, तो इस क्रिया को सहज, सरल और मजेदार बनाने के लिए आज बाजार में कई प्रोडक्ट उपलब्ध हैं:

*** *** *** महिलाओं के लिए:

वायब्रेटर, डिल्डो और अन्य

पुरूषों के लिए:



मेल मास्टरब्यूटर, कृत्रिम योनि, सैक्स डॉल, बॉल लॉक और अन्य.






होम पेज पर जाएं